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सम्पादकीय

काश मोहन भागवत उह वक्त बोल पाते जब हाफिज़ जुनैद, तबरेज अंसारी और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की लिचिंग हो रही थी

मोहन भागवत जी, जो बातें है आप राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के कार्यक्रम से कह रहे हैं यही बातें आप सांप्रदायिकता का खेल खेल रहे संगठनों के कार्यक्रम में बोलिए क्योंकि लिंचिंग करने वाले वहां पर बैठे हैं।

काश आप बोल पाते उस वक्त जब मासूम हाफिज जुनैद की लिंचिंग की गई थी। काश आप बोल पाते उस वक्त जब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की लिंचिंग की गई थी।

काश आप बोल पाते उस वक्त जब दादरी में घर में घुसकर अखलाक की लिंचिंग की गई थी। काश आप बोल पाते उस वक्त जब तबरेज अंसारी की लिंचिंग की गई थी।

काश आप बोल पाते उस वक्त जब पहलू खान की लिंचिंग की गई थी।काश आप बोल पाते उस वक्त जब शाहिद खान की लिंचिंग की गई थी।

काश आप बोल पाते उस वक्त जब अफराजुल को लाइव टेलीकास्ट करके जिंदा फूंक दिया शंबूलाल ने। काश आप बोल पाते उस वक्त आसिफ खान की लिंचिंग की गई थी।

काश आप बोल पाते उस वक्त जब एक मासूम बच्ची आसिफा का रेप किया गया था। काश आप बोल पाते उस वक्त जब एक बूढ़े आदमी के चेहरे से दाढ़ी काटकर उसे मारा गया पीटा गया ।

काश आप बोल पाते उस वक्त जब दिल्ली के अंदर लोगों के घर जल रहे थे, लोग बेसहारा हो रहे थे लोग बेबस हो रहे थे उस वक्त आप खामोश रहे और लोगों को जलते हुए देखते रहे यह आप की हकीकत है।

काश आप बोल पाते उस वक्त जब एक मंदिर के बाहर लिखा जाता है कि मुसलमानों का आना वर्जित है काश आप बोल पाते उस वक्त जब एक मंदिर से मासूम बच्चे को भगा दिया जाता है यहां पर आपको पानी नहीं मिलेगा।

काश आप बोल पाते उस वक्त जब गौरी लंकेश की सरेआम हत्या कर दी गई। काश आप बोल पाते उस वक्त जब डासना मंदिर के महंत नरसिंहानंद खुलेआम अपनी जुबान से वायलेंस की बातें करता है।

यह सब कुछ आपकी नजरों के सामने होता रहा और आप आंख बंद करके सोते रहे,और आज आप बातें करते हैं हिंदू मुस्लिम एकता की जिसमें शायद आप खुद जरा भी भरोसा नहीं रखते।

इश्क कातिल से भी मकतूल से हमदर्दी भी

(लेखक मौहम्मद कासिम फरीदाबादी माब लिचिंग के शिकार हाफिज़ जुनैद के भाई है )

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