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सम्पादकीय

पेगासस बेच कर इज़रायल ने भारत से संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ मतदान करवाया

न्यूयार्क टाइम्स के रॉनेन बर्गमन और मार्क मज़ेटी की रिपोर्ट दुनिया में हंगामा मचा रही है। एक साल तक अलग अलग देशों में जाकर पेगासस जासूसी तंत्र के बारे में दोनों ने पता लगाया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मेक्सिको और पनामा के अलावा भारत ने भी पेगासस ख़रीदा है।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे इज़रायल ने इस सॉफ़्टवेयर को बेच कर दुनिया में अपने कूटनीतिक प्रभाव का विस्तार किया है। संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ ख़रीदार देशों से मतदान करवाया है। जिन देशों ने इज़रायल से पेगासस ख़रीदा है वो अब इसके हाथ ब्लैकमेल हो रहे हैं।

2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इज़रायल गए थे। न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा है कि इस यात्रा के दौरान पेगासस ख़रीदने का सौदा हुआ। जिसका इस्तमाल विपक्ष के नेताओं, पत्रकारों के फ़ोन से डेटा उड़ाने और बातचीत रिकार्ड करने में हुआ। रॉनेन बर्गमन और मार्क मज़ेटी ने लंबी रिपोर्ट में काफ़ी विस्तार से बताया है कि कैसे NSO के पेगासस और फैंटम सॉफ़्टवेयर असंख्य नागरिकों के फ़ोन को हैक किया जा सकता है।

भारत सरकार ने कहा है कि रक्षा मंत्रालय और NSO की कोई डील नहीं हुई है और न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा है कि पेगासस रक्षा सौदे का हिस्सा था।

पेगासस का सौदा एक आज़ाद मुल्क को एक गिरोह के हाथ में सौंप देने का मामला है। इस सॉफ़्टवेयर को इसलिए ख़रीदा गया ताकि मुल्क के भीतर विपक्ष और पत्रकारिता की आवाज़ को ख़त्म किया जा सके।

इस काम के लिए किसी दूसरे देश से सौदा करते वक्त भारत की साख कितनी ख़राब हुई होगी। अपनी सत्ता के लिए इस देश के लोकतांत्रिक स्वाभिमान को इज़रायल की जूती पर रखा गया है। इससे अपमानजनक कुछ हो ही नहीं सकता। पेगासस बेच कर इज़रायल ने भारत से संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ मतदान करवाया। न्यूयार्क टाइम्स में छपी इस रिपोर्टर से भारत की साख पूरी दुनिया में ख़राब हो रही है। नरेंद्र मोदी का ज़िक्र अब तानाशाहों में होनी लगी है। यह कितना शर्मनाक है।

पेगासस का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। कोर्ट की कमेटी उन तथ्यों तक पहुँच पाएगी जहां तक न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट पहुँचती है, अब यह भी दांव पर है। भारत सरकार इस बात से इंकार करती रही है कि पेगासस ख़रीदा गया और इसका इस्तमाल जासूसी के लिए हुआ।

नई रिपोर्ट के बाद सरकार की नौटंकी फिर शुरू हो जाएगी कि आतंकवाद से लड़ने के लिए ऐसी चीजें ख़रीदी जाएँगी लेकिन ये नहीं कहा जाएगा कि पेगासस ख़रीदा है या नहीं। यह साफ्टवेयर ख़रीदा तो जाता है आतंकवाद के नाम पर लेकिन इसका इस्तमाल होता है लोकतंत्र का गला घोंटने में।

सोचिए इस काम के लिए जब नरेंद्र मोदी ने नेतन्याहू से सौदा किया होगा तब उसकी नज़र में भारत को कितना गिराया होगा। यह अपराध है और अक्षम्य है।

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