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रवीश कुमार के इस्तीफ़े की अफ़वाह का सच

हाल ही में एक अख़बार के माध्यम से देश के जानेमाने पत्रकार एवं एनडीटीवी के एंकर रवीश कुमार के इस्तीफे की ख़बर उड़ी थी जिसका रवीश कुमार ने खुद खंडन किया हैं।

रवीश कुमार का कहना हैं कि मैं भी पता कर रहा हूँ कि मेरा इस्तीफ़ा किसने दिया? मैंने ही दिया या इसकी कहानी लिखकर हिट्स उड़ाने वालों ने दिलवा दिया।

जो लोग इस तरह की अफ़वाह उड़ा रहे हैं लगता है उनके पास उड़ाने के लिए पैसे नहीं हैं।

कृपया इस बारे में मुझसे सही जानकारी न माँगे। पहले ग़लत फैला दो और फिर मुझी से पूछो कि ग़लत है या यही।

मैं सिर्फ़ यही जानना चाहता हूँ कि जनसत्ता ने ये अफ़वाह छापी है या नहीं। मेरे बारे में कुछ भी छाप कर हिट्स कमाने वाला जनसत्ता क्या कर रहा है।

बाक़ी रिलैक्स करें। दोस्तो, नौकरी की हालत देश में बहुत बुरी है। सभी के लिए। आपके प्रिय नेता श्री नरेंद्र मोदी ने इस प्यारे देश की अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क कर दिया है।

इसमें अब पहले जैसी न तो नौकरी है और न सैलरी। इसका मतलब यह नहीं कि आप दुखी हो जाएँ। बिल्कुल नहीं। जब लगे कि भविष्य में कुछ नहीं ठीक होगा तो अतीत का ठीक करने में लग जाएँ।

महापुरुषों की मूर्ति या स्मारक बनाने के नाम पर अतीत के गौरव की बहाली में जुट जाएँ। अच्छा टाइम कटेगा। उसके बाद भी मन दुखी हो तो नेहरू के मुसलमान वाली मीम सामने रखें और मुसलमानों को क्या करना चाहिए उस पर विचार करें, इस काम में इतनी ख़ुशी मिलेगी कि आप कंट्रोल नहीं कर पाएँगे।

महापुरुष और मुसलमान आपके पास ख़ुश होने के दो दो फ़ैक्टर हैं। बस एक नौकरी नहीं है तो इसे लेकर क्या दुखी होना।

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