आरएसएस के वरिष्ठ नेता सुनील अम्बेकर ने शुक्रवार को कहा कि नई इतिहास किताबों में मुगल सम्राट अकबर और मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के नाम के साथ अब “द ग्रेट” उपाधि का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने इतिहास पाठ्यक्रम में कई संशोधन किए हैं, लेकिन “किसी भी ऐतिहासिक व्यक्ति को हटाया नहीं गया है।”
अम्बेकर ने कहा, “नई पीढ़ी को उनके क्रूर कृत्यों के बारे में सच जानना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि हमें किसने पीड़ित किया और हमें किससे सजग रहने की ज़रूरत है।”
अम्बेकर नागपुर में आयोजित ऑरेंज सिटी लिटरेचर फेस्टिवल को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि NCERT ने 15 में से 11 कक्षाओं की किताबें संशोधित कर दी हैं और “कक्षा 9, 10 और 12 की किताबें अगले साल अपडेट की जाएंगी।”
उन्होंने आगे कहा, “कई अच्छे बदलाव किए गए हैं और भविष्य में और भी सुधार संभव हैं।”
अपने संबोधन में अम्बेकर ने भारत की प्राचीन शिक्षा और ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय को केवल वेदों और पुराणों तक सीमित समझना गलत है।”
उन्होंने दावा किया कि नालंदा में साहित्य के साथ “76 प्रकार के कौशल-आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते थे — जिनमें खेती, शहरी नियोजन, मेकअप, गुप्तचर प्रशिक्षण, राजनीतिक शासन, मशीनरी संचालन और अन्य विषय शामिल थे।”
अम्बेकर ने कहा कि भारत को यह भी तय करना चाहिए कि भविष्य में वह किस प्रकार का समाज बनाना चाहता है।
उन्होंने कहा, “कई देशों ने बाजार की होड़ में अपनी सांस्कृतिक पहचान खो दी। तकनीक ने जीवन को सुविधाजनक बनाया है, लेकिन इससे व्यक्ति और परिवारिक जीवन को नुक़सान भी हुआ है।”
अयोध्या के राम मंदिर मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि संघ ने इसके लिए इतना बड़ा अभियान क्यों चलाया।
इस पर अम्बेकर ने कहा, “यह सिर्फ़ मंदिर बनाने का विषय नहीं था। यह हमारे राम और हमारी संस्कृति के साथ संबंध को समझने का अभियान था।” उन्होंने कहा कि आज के युवा “धर्म के प्रति ज्यादा आत्मसम्मान और गर्व महसूस करते हैं।

