संसद के शीतकालीन सत्र 2025 में आज सामाजिक न्याय और धार्मिक शब्दों की व्याख्या को लेकर गंभीर चर्चा देखने को मिली। सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने मोहीबुल्लाह नदवी के हालिया बयान का समर्थन करते हुए कहा कि “जिहाद” को गलत अर्थों में प्रचारित करना बंद होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जिहाद अरबी भाषा का शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ ‘जद्दोजहद’ है। यानी अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष। हम इस शब्द के मायने अपनी सुविधानुसार क्यों बदलते जा रहे हैं?”
आज़ाद ने स्पष्ट किया कि नदवी के बयान का उद्देश्य किसी को उकसाना नहीं बल्कि यह समझाना है कि यदि किसी पर अत्याचार हो रहा हो तो उसके खिलाफ खड़ा होना ही वास्तविक जिहाद है।
उन्होंने आगे कहा, “इस देश में संविधान ने हम सभी को अधिकार दिए हैं। संवैधानिक दायरे में रहते हुए हम बड़ी से बड़ी लड़ाई लड़ सकते हैं, यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को भी चुनौती दे सकते हैं। भारत का लोकतंत्र इतनी ताक़त रखता है।”
सांसद ने यह भी संदेश दिया कि धार्मिक और भाषाई शब्दों की व्याख्या को लेकर भ्रामक प्रचार से समाज में गलतफहमियाँ फैलती हैं। उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर भाषा और धर्म के नाम पर नफ़रत फैलाने के बजाय न्याय के लिए संघर्ष को बढ़ावा देना चाहिए।
चंद्रशेखर आज़ाद के इस बयान को विपक्षी दलों के कई नेताओं ने भी सकारात्मक बताया और कहा कि संसद में ऐसी आवाजें लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती देती हैं।

