उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित मंगलौर में बीते रोज़ कांवड़ियों ने जमकर उत्पात मचाया है जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है।
जानकारी के मुताबिक, एक कार सवार मुस्लिम परिवार कहीं जा रहा था, कार में महिलाएँ और छोटे-छोटे बच्चे भी सवार थे।
रास्ते में कथित तौर पर कार कावड़ को छू गयी। जिसके बाद कांवड़ियों ने कार को क्षतिग्रस्त कर दिया और कार चला रहे युवक के साथ मार-पीट करते हुए उसके कपड़े भी फाड़ दिए।
इस घटना को लेकर पत्रकार वसीम अकरम त्यागी का कहना है कि, अब सोचिए! कावड़ जैसी परिश्रम, त्याग वाली इस यात्रा में कैसे कैसे उपद्रवी शामिल हैं! क्या ये उपद्रवी धार्मिक हो सकते हैं? कांवर यात्रा के दौरान “भोले” के परिजन सब्जी में छौंक नहीं लगाते, कुत्ता बिल्ली या किसी अन्य जानवर को डंडा तक नहीं मारते। क्योंकि धारणा यह है कि अगर सब्ज़ी में छौंका लगाया तो “भोले” के पैरों में छाले पड़ जाएंगे, अगर किसी जानवर को डंडा मारा तो उसका दर्द “भोले” को होगा।
लेकिन परिश्रमी त्याग वाली कांवर यात्री में हर साल कुछ उपद्रवी “भोला” बनकर घुस जाते हैं, और कांवर खंडित होने का आरोप लगाकर उपद्रव करते हैं।
उपद्रव के दौरान उसे यह भी लिहाज़ नहीं रहा कि गाड़ी में बच्चे हैं, महिलाएँ हैं उनके मस्तिष्क पर इस उपद्रव का क्या असर पड़ेगा। बस उसे उपद्रव करने का बहाना चाहिए, और वो शुरू हो जाता है। पिछले कई सालों से कांवर यात्रा के दौरान ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं।
इस बार जब अभी कांवर यात्रा पूरी तरह शुरू भी नहीं हुई तो तीन दिन में तीन घटनाएँ घट चुकी हैं। वोट बैंक की लालची सरकारें कांवड़ियों में शामिल इन उपद्रवियों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए तैयार नहीं हैं।