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एआई में भारत–इज़राइल का साझा मॉडल, भविष्य की प्रयोगशाला की नई दुनिया: जान अशरफ

एक ऐसे युग में जब तकनीक राष्ट्रों के भाग्य को निर्धारित करती है, भारत और इज़राइल की साझेदारी वैश्विक परिदृश्य में सबसे आशाजनक और भविष्य उन्मुख गठबंधनों में से एक के रूप में उभर रही है। जो सहयोग रक्षा और कृषि से शुरू हुआ था, वह अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI), जैव-प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा जैसे अग्रणी क्षेत्रों में एक परिष्कृत साझेदारी में बदल गया है। ये केवल साझा रुचि के क्षेत्र नहीं हैं, बल्कि ये वह इंजन हैं जो अगली औद्योगिक क्रांति को आगे बढ़ा रहे हैं और नवाचार शक्ति के वैश्विक संतुलन को परिभाषित कर रहे हैं।

भारत और इज़राइल में बहुत कुछ समान है जीवंत लोकतंत्र, नवाचार-आधारित अर्थव्यवस्थाएं, और कठिनाइयों को अवसर में बदलने की क्षमता। जहां भारत के पास विशाल जनसंख्या, विविधता और प्रतिभा है, वहीं इज़राइल सटीकता, नवाचार और उद्यमशीलता की फुर्ती लेकर आता है। दोनों मिलकर क्षमता और रचनात्मकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता इस सदी की सबसे निर्णायक तकनीक बन रही है, और दोनों देश इसके परिवर्तनकारी संभावनाओं को भलीभांति समझते हैं। भारत-इज़राइल औद्योगिक अनुसंधान और तकनीकी नवाचार कोष (I4F) एआई-आधारित सुरक्षा, स्वास्थ्य विश्लेषण और कृषि स्वचालन जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर रहा है। भारतीय आईटी कंपनियां इज़राइल के स्टार्टअप
इकोसिस्टम से सीख रही हैं, जबकि इज़राइली नवप्रवर्तक भारत के व्यापक डिजिटल ढांचे और बाजार पहुंच का लाभ उठा रहे हैं।

लेकिन केवल तकनीकी साझेदारी ही इस गठबंधन को खास नहीं बनाती इसे अलग पहचान देती है नैतिक और जिम्मेदार एआई पर दिया गया जोर। ऐसे दौर में जब दुनिया डेटा के दुरुपयोग और एल्गोरिदमिक पक्षपात को लेकर चिंतित है, भारत और इज़राइल नवाचार को जवाबदेही के साथ जोड़ने वाला एक सहयोगी मॉडल बना रहे हैं — ऐसा मॉडल जो मशीनों के युग में भी इंसानियत को केंद्र में रखता है।

अगर एआई भविष्य का मस्तिष्क है, तो जैव-प्रौद्योगिकी उसका धड़कता हुआ हृदय है। इस क्षेत्र में भी दोनों देशों का तालमेल उद्देश्यपूर्ण और सशक्त है। आनुवंशिक इंजीनियरिंग, जैव-सूचना विज्ञान और जीवन विज्ञान में इज़राइल की अग्रणी शोध क्षमता भारत के मजबूत फार्मास्युटिकल और क्लिनिकल रिसर्च ढांचे के साथ शानदार मेल बनाती है। दोनों देश व्यक्तिगत चिकित्सा, वैक्सीन विकास और कृषि जैव-प्रौद्योगिकी में संयुक्त निवेश कर रहे हैं।

कोविड-19 संकट के दौरान भारत-इज़राइल सहयोग ने तीव्र परीक्षण और वैक्सीन तकनीकों में जो एकजुटता दिखाई, उसने वैज्ञानिक एकता की ताकत को साबित किया। आज दोनों देश संयुक्त रूप से ऐसे अनुसंधान कर रहे हैं जो न केवल लाभ के लिए हैं, बल्कि मानवता की सेवा के लिए भी चाहे वह स्वास्थ्य सुधार हो, खाद्य सुरक्षा हो या पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान।

स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नई दिल्ली और तेल अवीव की साझेदारी शायद सबसे दूरगामी साबित होगी। दोनों देशों के सामने ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दोहरी चुनौती है। सौर ऊर्जा, जल विलवणीकरण और हाइड्रोजन तकनीक में इज़राइल की प्रगति को भारत की नवीकरणीय ऊर्जा रणनीति में शामिल किया जा रहा है।

भारत-इज़राइल ऊर्जा मंच के तहत हरे हाइड्रोजन, कार्बन कैप्चर और स्मार्ट ग्रिड्स में संयुक्त पहलें हो रही हैं। भारत के लिए ये तकनीकें उसके नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य को पूरा करने में अहम हैं; वहीं इज़राइल के लिए ये वैश्विक क्लाइमेट टेक नेतृत्व को विस्तार देने का अवसर हैं। पूरी दुनिया के लिए यह साझेदारी जलवायु सहयोग का एक व्यवहारिक मॉडल बन रही है जहां एक उभरती अर्थव्यवस्था और एक विकसित नवाचार राष्ट्र एक साथ काम कर रहे हैं।

भारत-इज़राइल गठबंधन केवल आर्थिक साझेदारी नहीं है, बल्कि यह एक दार्शनिक सामंजस्य को दर्शाता है यह विश्वास कि विज्ञान, जब नैतिकता और सहानुभूति द्वारा निर्देशित होता है, तो समाजों को बदल सकता है। यह कोई लेन-देन आधारित संबंध नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी साझेदारी है जो विश्वास, लोकतांत्रिक मूल्यों और एक सुरक्षित एवं स्थायी भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित है।
जैसे-जैसे भारत आत्मनिर्भर भारत के तहत वैश्विक नवाचार केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है, और इज़राइल “स्टार्ट-अप नेशन” के रूप में आगे बढ़ रहा है, यह साझेदारी तकनीकी कूटनीति की नई परिभाषा तय कर रही है। दोनों मिलकर न केवल समाधान बना रहे हैं, बल्कि सहयोग की एक नई कहानी गढ़ रहे हैं जहां नवाचार मानवता की सेवा करता है और साझेदारी प्रगति को गति देती है।

भारत-इज़राइल संबंधों का भविष्य केवल व्यापार या संधियों में नहीं है, बल्कि उन प्रयोगशालाओं, अनुसंधान केंद्रों और स्वच्छ-तकनीक स्टार्टअप्स में है जो आने वाले कल को आकार दे रहे हैं। यही वह जगह है जहां विचार प्रभाव में बदलते हैं, और जहां दो राष्ट्र साझा दृष्टि से बंधे हुए मिलकर एक बेहतर दुनिया का खाका तैयार कर रहे हैं।

(लेखक अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार है)

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