टाटा समूह को सेमीकंडक्टर परियोजनाओं की मंजूरी के कुछ हफ्तों बाद BJP को मिला 758 करोड़ का चंदा, सवालों के घेरे में सौदा
केंद्र सरकार द्वारा टाटा समूह की दो सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी देने और भारी वित्तीय सहायता की घोषणा के कुछ ही हफ्तों बाद, टाटा समूह देश की सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सबसे बड़ा दानदाता बनकर उभरा है।
इस घटनाक्रम के बाद दान और सरकारी सब्सिडी के बीच संबंधों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
29 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना के तहत तीन नई इकाइयों को मंजूरी दी थी। इनमें से दो इकाइयों का संचालन टाटा समूह द्वारा किया जाना है।
सरकार ने इन परियोजनाओं की कुल लागत का लगभग 50% वहन करने का फैसला किया है, जिसके तहत टाटा समूह को लगभग ₹44,203 करोड़ की सब्सिडी मिलने का अनुमान है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मंजूरी मिलने के करीब चार हफ्तों बाद ही टाटा समूह से जुड़े प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने भाजपा को ₹758 करोड़ का दान दिया। यह 2024 लोकसभा चुनाव मतदान शुरू होने के दौर का ही समय था।
वित्तीय वर्ष 2024–25 में कुल ₹915 करोड़ राजनीतिक दलों को दान दिए गए, जिनमें ज्यादातर राशि भाजपा के खाते में गई।
विपक्षी दलों और चुनावी सुधार के समर्थकों ने कहा है कि यह मामला “नीतिगत लाभ के बदले राजनीतिक फंडिंग” का उदाहरण लगता है।

