जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के आरोप में गिरफ्तार 13 मुस्लिम नौजवानों को कोर्ट ने बाइज्ज़त बरी कर दिया हैं।
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मुस्लिम नौजवानों को बरी करते हुए कहा है कि, इनमें से किसी का भी जामिया में हुई हिंसा से कोई संबंध नज़र नहीं आता हैं. इसलिए इनको बरी किया जाता हैं।
आपको बता दें कि, दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ चल रहें आंदोलन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. जिसके बाद पुलिस ने बहुत सारे बेकसूर मुस्लिम नौजवानों और छात्रों को गिरफ्तार किया था।
इस हिंसा के आरोप में पुलिस ने जेएनयू के छात्र नेता शरजील इमाम एवं जामिया के छात्र नेता आसिफ़ इक़बाल तन्हा के खिलाफ़ भी दंगा भड़काने, भड़काऊ भाषण देने समेत आईपीसी की धारा 143, 147, 148, 149, 186, 353, 332, 333, 308, 427, 435, 323, 341, 120B और 34 के तहत एफआईआर दर्ज़ की थीं।
हालांकि साजिश के तहत गिरफ्तार ज्यादातर मुस्लिम नौजवानों को अब कोर्ट से इंसाफ़ मिलने लगा हैं।
कोर्ट के आदेश पर बाइज्ज़त बरी हुए महमूद अनवर का कहना हैं कि, जमिया Anti CAA Protest का फ़ैसला आज जज साहब ने सुना दिया, मेरे साथ जमिया के 13 साथी बाइज़्ज़त बरी किए गए. अल्हमदुल्लाह केस डिस्चार्ज हो गया।
जामिया हिंसा के आरोप में गिरफ़्तार चार छात्रों का केस लड़ रहें एडवोकेट अबूबक्र सब्बाक का कहना हैं कि, मेरे चारों अभियुक्तों को सम्मानपूर्वक बरी कर दिया गया. मैंने इस मामले में 4 अभियुक्तों महमूद अनवर, मो. कासिम, शहजर रजा खान और उमैर अहमद का केस लड़ा था।