दिल्ली विश्वविद्यालय में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय से मंगलवार तक जवाब मांगा हैं।
डीयू प्रशासन ने स्क्रीनिंग के आरोप में पांच छात्रों को एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया था, जिसमें एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग भी शामिल थे।
जिसके बाद लोकेश चुग ने इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया जहां से दिल्ली विश्वविद्यालय को कड़ी फटकार लगी है तथा अगली सुनवाई को जवाब देने का भी आदेश दिया हैं।
इस मामले में लोकेश चुग की पैरवी वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और नमन जोशी ने की थीं जिसपर हाईकोर्ट के जज ने दिल्ली विश्वविद्यालय को कहा, इस मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया है, याचिका पर सुनवाई नहीं हुई है, उसे अवसर नहीं दिया गया है।
लोकेश चुग की तरफ़ से पेश हुए एडवोकेट नमन जोशी का कहना हैं कि, अदालत ने देखा है कि लोकेश को प्रतिबंधित करने का आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना जारी किया गया है क्योंकि उसे गठित समिति द्वारा सुनवाई नहीं दी गई थी जिसके बारे में उसे भी जानकारी नहीं थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिवक्ता उपस्थित थे, उनसे मंगलवार को जवाब मांगा गया है, हमें उम्मीद है कि माननीय न्यायालय आदेश को रद्द कर देगा और लोकेश को अपनी परीक्षा देने की अनुमति देगा।