उत्तर प्रदेश के शामली निवासी जावेद की हिमाचल प्रदेश के सिरमौर के नाहन में रेडिमेड गारमेंट्स की दुकान थी. ईद उल अज़हा के मौक़े पर जावेद अपने पैतृक घर आया हुआ था, उसने ईद उल अज़हा पर होने वाली क़ुर्बानी की तस्वीरें ह्वाटसप स्टेटस पर लगाईं।
इससे नाहन के लोगों की भावनाएं ‘आहत’ हुईं, उन्होंने जावेद पर गौहत्या का आरोप लगाकर उसकी दुकान लूट ली। शामली पुलिस ने जांच की तो पाया कि जावेद ने गाय की क़ुर्बानी नहीं की थी, लेकिन फिर भी जावेद पर मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। खैर यह उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रावाई थी।
अब हिमाचल चलते हैं, जहां जावेद की दुकान थी। हिंदूवादी उपद्रवियों की भीड़ ने जावेद की दुकान लूटी, साथ ही वहां स्थित अन्य मुसलमानों की दुकानों में भी तोड़-फोड़ की। BBC की एक रिपोर्ट बताती है कि इस घटना के बाद से कम से कम मुस्लिम समुदाय के 16 लोग शहर छोड़ चुके हैं। कुछ डर के कारण और कुछ को दुकान मालिकों ने जगह खाली करने को कहा है। सभी उत्तर प्रदेश के शामली और सहारनपुर के रहने वाले हैं।
अब सवाल यह है कि जावेद को तो यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन जावेद की दुकान लूटने वाले उपद्रवियों के ख़िलाफ हिमाचल प्रदेश पुलिस ने कोई कार्रावाई क्यों नहीं की?
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने हिमाचल प्रदेश प्रशासन से गुहार लगाई कि क़ानून व्यवस्था को हाथ में लेने वाले तत्वों के खिलाफ़ कार्रावाई करें। लेकिन अभी तक ऐसी ख़बर सामने नहीं आई जिससे यह पता चल सके कि उन हिंसक तत्व पर कोई कार्रावाई हुई हो!
हिमाचल में कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान वाली सरकार है, लेकिन इस सरकार में बीते एक वर्ष से मुसलमानों के ख़िलाफ सांप्रदायिक उन्माद की घटनाएं होती रही हैं। इसके बावजूद सुखविंदर सिंह की सरकार की ओर से कोई ऐसा क़दम नहीं उठाया गया जिससे लगे कि वो राज्य में सांप्रदायिक ताक़तों का फन कुचलने का माद्दा रखते हैं।
क्या प्रियंका गांधी एंव राहुल गांधी हिमाचल से आतीं इन ख़बरों को नहीं देखते होंगे? अगर देखते हैं तो फिर मोहब्बत की दुकान वाले राज्य में नफ़रत के सौदागरों के ख़िलाफ कार्रावाई क्यों नहीं होती?