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जयपुर में तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ़ कॉन्फ्रेन्स: वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ एकजुट हुए मुसलमान

जयपुर के मोती डूंगरी रोड पर आयोजित तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ़ कॉन्फ्रेन्स में देशभर से आए हजारों लोग एकजुट हुए, जहां विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों, उलमा और सांसदों ने वक्फ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। इस बिल के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच, राजस्थान में भी इसे लेकर गहरी चिंता और विरोध की लहर देखने को मिली।

कांफ्रेंस के आयोजक, ज्वाइंट कमेटी तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ़, राजस्थान के संयोजक मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने बताया कि यह बिल वक्फ की स्वायत्तता को समाप्त कर देने वाली एक गंभीर साजिश है। इस बिल के जरिए वक्फ जायदादों के संचालन और प्रबंधन की स्वतंत्रता पर चोट की जा रही है, जो संविधान की धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी के खिलाफ है। इस बिल के विरोध में आयोजित इस कॉन्फ्रेन्स में सभी वक्ताओं ने इसे मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर हमला बताया।

कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी (उपाध्यक्ष, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) ने इस बिल को “वक्फ जायदादों की संपत्ति से मुसलमानों को बेदखल करने की साजिश” बताया। वहीँ, मौलाना फ़ज़लुर्रहीम मुजद्दिदी (जनरल सचिव, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) ने इस बिल के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने की अपील की।

मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी (मेम्बर ऑफ पार्लियामेन्ट, रामपुर) ने इस बिल के प्रभाव को गंभीर बताते हुए कहा कि वक्फ जायदादों पर अब तक जितने भी सुधार किए गए हैं, वह सब इस बिल द्वारा समाप्त हो जाएंगे। “यह बिल वक्फ एक्ट 1995 के सेक्शन 40 को खत्म कर देगा, जो राज्यों के वक्फ बोर्ड के कामकाज का मार्गदर्शन करता था,” उन्होंने कहा।

इसी बीच, डॉक्टर ज़फ़र महमूद (चेयरमैन, ज़कात फाउंडेशन ऑफ इंडिया) ने इस बिल को एक “भेदभावपूर्ण कदम” बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों को कुचलना है। सैयद सरवर चिश्ती (गद्दीनशीन, दरगाह शरीफ़, अजमेर) ने भी इस बिल को “देश के सद्भावना के खिलाफ” बताया और कहा कि वक्फ की संपत्ति “ईश्वर की संपत्ति” है, जिस पर किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।

डॉ. क़ासिम रसूल इलियास (स्पोक्सपर्सन, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए, “इस समय वक्फ बिल पर हमला हो रहा है, कल अन्य धार्मिक संस्थानों की संपत्तियां भी सरकार के निशाने पर हो सकती हैं,” उन्होंने चेतावनी दी। उनका कहना था कि वक्फ की ज़मीन हमारे पूर्वजों द्वारा दान की गई है, और इस पर किसी भी प्रकार का हमला मुसलमानों के लिए एक जीवन-मरण का सवाल है।

मुलायम भावनाओं के साथ विधायक रफीक खान और अमीन कागजी ने भी अपनी बातें रखीं, और समस्त समुदाय से इस बिल का विरोध करने का आह्वान किया। इस कार्यक्रम में शामिल होने आए हजारों लोगों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में अपनी ताकत दिखाई और वक्फ संशोधन बिल को वापस लेने की मांग की।

जयपुर की सड़कों पर गूंजती यह आवाज़ यह साबित करती है कि अगर वक्फ बिल को लागू किया गया तो यह न केवल धार्मिक संस्थानों के लिए संकट पैदा करेगा, बल्कि देश की एकता और सामाजिक सद्भाव पर भी गंभीर असर डालेगा।

यह कॉन्फ्रेन्स न केवल वक्फ बिल के खिलाफ था, बल्कि यह एक संदेश था कि किसी भी तरह की धार्मिक असहमति को सहन नहीं किया जाएगा। राजस्थान में यह आवाज़ उठी है कि जब तक इस बिल को वापस नहीं लिया जाता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

जयपुर के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि इस बिल को लागू होने से रोकने के लिए कोई भी संवैधानिक कदम उठाए जाएंगे। “विरोध के सभी रास्ते खुले हैं, और हम इसे लागू नहीं होने देंगे,” एक वक्ता ने ये शब्द कहकर सम्मेलन का समापन किया।

यह कांफ्रेंस, न केवल एक विरोध प्रदर्शन था, बल्कि एक ताकतवर संदेश था—संघर्ष जारी रहेगा, जब तक न्याय की विजय नहीं होती!

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