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लखनऊ में 2270 करोड़ रुपये के तथाकथित विकास प्रोजेक्ट के नाम पर 100 साल पुरानी दलित–बहुजन बस्तियों को उजाड़ने की साज़िश: चंद्रशेखर आज़ाद

नगीना सांसद चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के ज़रिए बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि, लखनऊ के गयासुद्दीन हैदर कैनाल पर बसी 100 साल पुरानी दलित–बहुजन बस्तियों को उजाड़ने की साज़िश रच रही है।

उन्होंने कहा सरकार के 2270 करोड़ रुपये के तथाकथित “विकास” प्रोजेक्ट के नाम पर रची जा रही है, जिसमें पाँच पीढ़ियों से यहाँ रह रहे लगभग 7 लाख मेहनतकश, वंचित और गरीब परिवारों को बेघर करने का ख़तरा है।

भीम आर्मी – आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) इस अन्याय के विरोध में शुरुआत से ही आंदोलनरत है। कल चारबाग स्थित पीसीएफ बिल्डिंग के पास हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे और उनके द्वारा विधानसभा की ओर किए गए पैदल मार्च को पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया।

पिछले साल 19 जुलाई 2024 को मैं ख़ुद वहाँ पहुँचा था और हमने सरकार से साफ़ शब्दों में कहा — गरीब की झोपड़ी तोड़कर किया गया विकास, असल में विनाश है।भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि उसे रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत सुविधाएँ सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएँ।

साथ ही यह भी कहा कि यह कांशीराम स्लम एरिया मालिकाना हक योजना का उल्लंघन है। वर्ष 2007 से 2012 के बीच उत्तर प्रदेश सरकार में कांशीराम स्लम एरिया मालिकाना हक योजना लागू हुई थी। यह योजना लाखों गरीब परिवारों को बेघर होने से बचाने के लिए बनाई गई थी।

इसके तहत, उत्तर प्रदेश की किसी भी भूमि पर 10 वर्ष या उससे अधिक समय से आवास बनाकर कोई भी भारत का नागरिक रह रहा है, तो उसे विस्थापित न करते हुए, उसी स्थल पर 30-30 मीटर का पट्टा रजिस्ट्री करके देना सरकार की ज़िम्मेदारी है।

लेकिन वर्तमान सरकार गरीबों के अधिकारों पर हमला करते हुए इस कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रही है।

यह लड़ाई सिर्फ़ हैदर कैनाल की नहीं, बल्कि देश के हर उस गरीब, दलित, बहुजन और मेहनतकश की है, जिसके घर को विकास के नाम पर तोड़ा जा रहा है।

भीम आर्मी – आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) की @UPGovt से माँग है कि सरकार इस जन-विरोधी फैसले को तत्काल वापस ले, अन्यथा आंदोलन और तेज़ किया जाएगा। बहुत जल्द मैं स्वयं हैदर कैनाल पहुँचकर इस आंदोलन में शामिल होऊँगा।

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