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दिल्ली दंगा: घर, दुकान और मस्जिद में आगजनी करने के 6 हिंदू आरोपियों को कोर्ट ने किया बरी

दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में छह आरोपियों को बरी करते हुए पुलिस जांच को “झूठा और लापरवाह” करार दिया।

कारकड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परवीन सिंह ने इशु गुप्ता, प्रेम प्रकाश, राजकुमार उर्फ सेवैया, मनीष शर्मा उर्फ पंचर, राहुल उर्फ गोलू और अमित उर्फ अन्नू को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। इन पर 26 फरवरी 2020 को न्यू उस्मानपुर में घरों, दुकानों, वाहनों और अज़ीज़िया मस्जिद में आगजनी करने का आरोप था।

34 पन्नों के आदेश में जज ने कहा कि केस “झूठे सबूतों की परतों” पर खड़ा किया गया था और पुलिस का गवाह “पूरी तरह अविश्वसनीय” था। गिरफ्तारी मेमो में विरोधाभास पाए गए — कुछ दस्तावेज़ों में दिखाया गया कि आरोपी इस केस में गिरफ्तार होने से पहले ही दूसरी FIR में हिरासत में थे, जिसे जज ने “असंभव” बताया।

अदालत ने कहा कि केस पूरी तरह आरोपियों के बयानों पर आधारित था और मूल केस डायरी तक उपलब्ध नहीं कराई गई। गवाहों के बयानों से छेड़छाड़ और मेडिकल रिपोर्ट में “कट-छांट” ने मामले की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए।

जज ने कहा कि ऐसी “खराब और सतही जांच” से लोगों का कानून और जांच प्रणाली पर भरोसा टूटता है। उन्होंने आदेश की प्रति दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेजने का निर्देश दिया।

अदालत ने सभी छह आरोपियों को दंगा, आगजनी, साजिश और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोपों से बरी कर दिया। उनकी जमानत शर्तें रद्द कर दी गईं और जमानतदाताओं को मुक्त कर दिया गया।

गौरतलब है कि 2020 में नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनों के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे, जिनमें अधिकांश मुस्लिम थे।

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