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ट्रेनों में सिर्फ ‘हलाल मांस’ परोसना मानवाधिकार का उल्लंघन है: NHRC ने रेलवे को भेजा नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भारतीय रेलवे को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर केवल हलाल-प्रसंस्कृत मांस की उपलब्धता धार्मिक आधार पर भेदभाव का मामला हो सकता है। आयोग ने रेलवे बोर्ड से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।

यह नोटिस भोपाल के सुनील अहिरवार द्वारा दायर शिकायत के आधार पर जारी किया गया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि रेलवे द्वारा केवल हलाल मांस परोसना उन यात्रियों के अधिकारों का हनन है जो अन्य धार्मिक प्रथाओं के अनुसार भोजन करते हैं। साथ ही यह मांस व्यापार में पारंपरिक रूप से शामिल हिंदू दलित समुदायों की आजीविका को भी प्रभावित करता है।

शिकायत में दावा किया गया है कि यह नीति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19(1)(जी), 21 और 25 के उल्लंघन के दायरे में आती है, जो समानता, धार्मिक स्वतंत्रता और आजीविका के अधिकार की गारंटी देते हैं।

एनएचआरसी के सदस्य प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पहली नज़र में यह मामला “मानवाधिकारों के उल्लंघन” की ओर संकेत करता है। उन्होंने कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष संस्था होने के नाते रेलवे को सभी धार्मिक समुदायों के यात्रियों के भोजन विकल्पों का सम्मान करना चाहिए।

शिकायत में यह भी तर्क दिया गया कि धार्मिक नियमों के अनुसार हलाल वध केवल मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जा सकता है, जिससे अन्य समुदायों के मांस व्यवसायियों को समान आर्थिक अवसर नहीं मिल पाते।

कानूनगो ने कहा,

“रेलवे जैसे सरकारी संगठन को खाद्य आपूर्ति में किसी एक धार्मिक पद्धति को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए। यह भेदभावपूर्ण है और तुरंत सुधार की आवश्यकता है।”

एनएचआरसी का यह कदम ऐसे समय में सामने आया है जब हलाल प्रमाणन को लेकर कई भाजपा शासित राज्यों में राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज है।

फिलहाल रेलवे की ओर से नोटिस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

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