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JNUSU महासचिव मुन्तेहा फातिमा के खिलाफ ABVP कार्यकर्ताओं ने की इस्लामोफोबिक टिप्पणी

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 18 अक्टूबर को छात्रों द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले गया। स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (एसएसएस) में हुई आम सभा (जीबीएम) के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की कथित हिंसा के खिलाफ यह शांतिपूर्ण मार्च शुरू हुआ था, लेकिन जल्द ही अराजकता फैल गई। झड़पों में कई छात्र घायल हुए और पुलिस ने 28 छात्रों को हिरासत में ले लिया।

सूत्रों के अनुसार, आगामी जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनावों से पहले विभिन्न स्कूलों में जीबीएम की श्रृंखला आयोजित की जा रही थी। इसी दौरान एसएसएस में एबीवीपी सदस्यों और अन्य छात्र संगठनों के बीच विवाद हुआ। छात्रों का आरोप है कि एबीवीपी सदस्यों ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और अन्य पदाधिकारियों के साथ मारपीट की और उन्हें घंटों तक बंधक बनाकर रखा। आरोप है कि इस दौरान उन्हें जातिवादी और इस्लामोफोबिक गालियाँ दी गईं।

महासचिव मुन्तेहा फातिमा समेत कई छात्रों को “आईएसआई एजेंट” कहकर अपमानित किया गया। इसके विरोध में 18 अक्टूबर को जेएनयूएसयू ने छात्रों से साबरमती टी-पॉइंट पर एकत्र होकर पश्चिमाबाद गेट तक मार्च करने और फिर पुलिस स्टेशन जाकर एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराने की मांग करने का आह्वान किया।

छात्रों के अनुसार, जब वे पुलिस बैरिकेड्स पार करने की कोशिश कर रहे थे, तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया। कई छात्रों ने दावा किया कि पुलिस और सादे कपड़ों में मौजूद लोग उन्हें घसीटकर वैन में डाल रहे थे। इस दौरान कई छात्रों के साथ मारपीट हुई और उन्हें सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया।

एक घायल छात्र ने बताया, “हमने सिर्फ़ एफआईआर की मांग की थी, लेकिन हमें पीटा गया। एक पुलिसकर्मी ने मेरे चेहरे पर मुक्का मारा और पेट में लात मारी।”
एक अन्य छात्रा ने बताया कि महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थीं और शाम 6 बजे के बाद भी नौ छात्राओं को हिरासत में लिया गया।

पुलिस ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष नीतीश कुमार, उपाध्यक्ष मनीषा, महासचिव मुन्तेहा फातिमा सहित 28 छात्रों को कापसहेड़ा पुलिस स्टेशन ले जाकर हिरासत में लिया, जिन्हें अगले दिन देर रात रिहा कर दिया गया।

नीतीश कुमार ने पुलिस स्टेशन से जारी एक वीडियो में कहा, “जब हम पर एबीवीपी के सदस्य हमला कर रहे थे, तब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब जब हम न्याय की मांग कर रहे हैं, तो वही पुलिस हमें पीट रही है और गिरफ्तार कर रही है।”

घटना के बाद छात्र संगठनों आइसा, एसएफआई, बापसा, फ्रेटरनिटी मूवमेंट, एमएसएफ, एआईएसएफ आदि ने संयुक्त बयान जारी कर पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा की और हिरासत में लिए गए छात्रों को न्याय दिलाने की मांग की।

पुलिस ने बताया कि मामले में छह एफआईआर दर्ज की गई हैं और जांच जारी है। वहीं, विश्वविद्यालय परिसर में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, जबकि छात्र संगठन इस पूरे प्रकरण को “एबीवीपी-आरएसएस-दिल्ली पुलिस गठजोड़” बता रहे हैं।

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