असम में इन दिनों कांग्रेस पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल के पीछे हाथ धोकर पड़ी है।
असम में कांग्रेस का मकसद भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके मुख्यमंत्री की नीतियों के खिलाफ़ लड़ने का होना चाहिए था लेकिन कांग्रेस इस मकसद के उलट मुस्लिम समुदाय का नेतृत्व करने वाली पार्टी को ख़त्म करने की साज़िश रच रहीं हैं।
हाल ही में असम कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट के ज़रिए मौलाना बदरुद्दीन अजमल की एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि, AIUDF प्रमुख की भड़काऊ सांप्रदायिक टिप्पणियों के बाद भी सीएम हिमंत बिस्वा सरमा चुप क्यों हैं? क्या यह किसी दिखावे का हिस्सा है? क्या मुख्यमंत्री पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने की अनुमति देंगे?
इस ट्विट के ज़रिए असम कांग्रेस ने खुले तौर पर मौलाना बदरुद्दीन अजमल को गिरफ़्तार करने की मांग कर दी हैं, हालांकि मुस्लिम समुदाय में कांग्रेस पार्टी के इस ट्विट के बाद से काफ़ी नाराजगी हैं।
पत्रकार शम्स तबरेज कासमी का कहना है कि, कांग्रेस ने असम में मौलाना बदरुद्दीन अजमल की पार्टी AIUDF को खत्म करने का बिल्कुल फैसला कर लिया है. बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के बजाय वह मुख्यमंत्री हेमंत से डिमांड कर रही है कि वह मौलाना बदरुद्दीन अजमल के खिलाफ कार्रवाई करें।
सोशल एक्टिविस्ट मौहम्मद आसिफ़ ख़ान का कहना हैं कि, क्या आपने हिमंत बिस्वा द्वारा की गई मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों के बारे में कुछ कहा है? आप महंगाई के लिए मुसलमानों को दोषी ठहराने वाले असम के मुख्यमंत्री से इस्तीफा क्यों नहीं मांगते?
एक अन्य सोशल मीडिया यूजर अनस खतीब के मुताबिक़, कांग्रेस का दोगलापन देखो वह असम में भाजपा से लड़ने के बजाए मुस्लिम क़यादत वाली पार्टी AIUDF को खत्म करने के लिए काम कर रही है, कांग्रेस भाजपा के मुख्यमंत्री हेमंत से डिमांड कर रही है कि वह मौलाना बदरुद्दीन अजमल के खिलाफ कार्रवाई करें, यही कांग्रेस का दोगलापन है, कांग्रेस नहीं चाहती मुसलमान राजनीतिक रूप से आजाद हो, कांग्रेस और आर एस एस एक सिक्के के दो पहलू हैं।