एमनेस्टी इंटरनेशनल के द्वारा बीते बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया की चार भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य और एक आम आदमी पार्टी शासित राज्य में अधिकारियों ने अप्रैल और जून 2022 के बीच 128 संरचनाओं को प्रशासनिक कार्यवाही के नाम पर गिरा दिया गया, जो ज्यादातर मुसलमानों से संबंधित मस्जिद या मदरसे थीं।
भारत में प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण के नाम पर जितनी भी बुलडोजर कार्यवाई की गई, उनमें भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 56 निर्माणों को गिराया गया।
इसके बाद गुजरात में 36 और आम आदमी पार्टी शासित राज्य दिल्ली में 25 एवं असम में आठ संपत्तियां और उत्तर प्रदेश में तीन संपत्तियों को प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण के नाम पर गिरा दिया गया।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में पाया गया कि सभी पांच राज्यों में अधिकारियों ने जानबूझ कर टारगेट कर के धार्मिक उन्माद एवं मुसलमानों के साथ भेदभाव के खिलाफ बोलने वाले लोगों के ऊपर मनमाने ढंग से कार्यवायी की।
संगठन ने कहा कि इस तरह के टारगेटेड बुलडोजर कार्यवाई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून एवं भारतीय संविधान का उलंघन है।
संगठन ने पाया कि बुलडोजर की कार्यवाई विरोध प्रदर्शनों और हिंसा में भाग लेने के संदिग्ध व्यक्तियों की संपत्तियों पर वहां के वरिष्ठ राजनेताओं एवं अधिकारियों के आवाह्न पर किया गया।
जानकारी के मुताबिक़, जून 2022 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर धमकी दी थी कि पैगंबर मुहम्मद के बारे में भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ प्रयागराज में विरोध प्रदर्शन करने वाले “अपराधियों और माफियाओं” पर बुलडोजर की कार्यवाई की जायेगी।
उसी दिन, राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने जावेद मोहम्मद के घर को ध्वस्त कर दिया, जिनपर आरोप था कि उन्होंने विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया था, इसके बाद इनको गिरफ़्तार भी कर लिया गया।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यह भी पाया कि बुलडोजर की कार्यवाई बिना किसी कानून के पालन के की गई हैं, इसमें यह भी कहा गया है कि राज्य सरकारों ने बुलडोजर कार्यवाही से पहले न किसी को कानूनी नोटिस और न किसी को वैकल्पिक पुनर्वास के अवसर दिए गए।