‘फ़िलिस्तीन के साथ एकजुट भारतीय जन’
(Indian People in Solidarity with Palestine – IPSP) ने फ़िलिस्तीन के समर्थन में बीडीएस इण्डिया आन्दोलन के तहत 10 मई, 2025 को दिल्ली के कनाॅट प्लेस पर स्थित डाॅमिनोज़ आउटलेट के बाहर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया।
प्रदर्शन के दौरान डाॅमिनोज़ के अन्दर और बाहर पर्चे बाँटे गये और यहाँ आये लोगों को बीडीएस इण्डिया आन्दोलन से परिचित कराया गया। इस दौरान तख्तियों और अभिनय के माध्यम से ज़ायनवादी इज़रायल द्वारा किये गये नरसंहार में मारे गये मासूम बच्चों की लाशों, मलबों में तब्दील हो चुके घर, अस्पताल, स्कूल और फ़िलिस्तीनी जनता के रक्तपात को दिखाया गया।
डाॅमिनोज़ बीडीएस आन्दोलन द्वारा बहिष्कृत कम्पनियों में से एक प्रमुख कम्पनी है। डाॅमिनोज़ फ़िलिस्तीनी लोगों के नरसंहार में शामिल है। इज़रायल में इसके 33 से ज़्यादा फ़्रैंचाइज़ी संचालित हैं जो खुलेआम इज़रायली सेना को फण्ड कर रही हैं।
IPSP की सदस्य व कार्यकर्ता प्रियम्वदा ने बताया कि आज जिस इज़रायल फ़िलिस्तीन युद्ध को यहूदी बनाम इस्लाम धर्म की लड़ाई बनाकर पेश किया जा रहा है, वह कोई धर्म का मसला नहीं बल्कि फ़िलिस्तीन की जनता द्वारा अपने राष्ट्र, अपनी ज़मीन की मुक्ति के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध है जिसमें मुस्लमान, यहूदी, ईसाई सभी शामिल हैं।
वास्तव में 1948 के पहले इज़रायल का कोई अस्तित्व नहीं था। यूरोप के साम्राज्यवादी, नस्लवादी और पश्चिमी साम्राज्यवाद के आपसी गठजोड़ से 1920 से 1940 के दशक के बीच फ़िलीस्तीन में यूरोपीय यहूदियों की बस्तियाँ बसाने की शुरूआत हुई और फ़िलिस्तीनी जनता के गाँव उजाड़ने शुरू किये गये।
1948 में एक भयंकर नरसंहार को अंजाम देकर फ़िलिस्तीन में फ़िलिस्तीनियों को ही लाखों की तादाद में मार डाला और उन्हें अपनी ही ज़मीन से विस्थापित कर दिया गया, तब से फ़िलिस्तीनी राष्ट्र इन जबरन क़ब्ज़ा करने वाले यूरोपीय साम्राज्यवादियों और ज़ायनवादियों के ख़िलाफ़ लड़ रहा है। 1948 के नरसंहार को फ़िलीस्तीनी क़ौम ‘नक़बा’ यानी ‘विनाश’ के दिन के रूप में याद करती है।
आज जब फ़ासीवादी ताक़तें फ़िलिस्तीन के मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही हैं और मुख्यधारा का मीडिया गाज़ा के समर्थन में होने वाले प्रदर्शनों को मुस्लिम विरोधी दुष्प्रचार से जोड़कर नफ़रत फैला रहा है, तब हर इन्साफ़पसन्द इन्सान के लिए ये ज़रूरी हो जाता है कि अपनी चुप्पी तोड़े और फ़िलिस्तीनी अवाम के मुक्ति संघर्ष के साथ खड़ा हो।
आज हमें फ़ासीवाद और ज़ायनवाद के इस नाजायज़ सम्बन्ध को सामने लाना होगा और ऐसा जन आन्दोलन खड़ा करना होगा जो भारतीय राज्य को ज़ायनवादी शासन से अपने सभी राजनीतिक,आर्थिक, कूटनीतिक आदि सम्बन्ध तोड़ने के लिए मजबूर करे।
आज पूरी दुनिया में ज़ायनवादी इज़रायल को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मदद करने वाली कम्पनियों के बहिष्कार के लिए बीडीएस आन्दोलन चलाया जा रहा है।
यह प्रदर्शन बीडीएस इण्डिया अभियान का हिस्सा है जो देश के इन्साफ़पसन्द लोगों द्वारा अलग-अलग विश्वविद्यालयों से लेकर आम मेहनतकश जनता के बीच चलाया जा रहा है। यह अभियान आम लोगों से अपील करता है कि वे नेस्ले, कोका-कोला, रीबॉक, एचपी, स्टारबक्स और डाॅमिनोज़ जैसी कम्पनियों के उत्पादों का बहिष्कार करें। ये ऐसी कम्पनियाँ हैं जिनके मुनाफ़े का इज़रायल में निवेश होता है और जो हथियारों के निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है। वही हथियार जिससे फ़िलिस्तीनी अवाम का नरसंहार किया जा रहा है जिसमें अधिकतर मासूम बच्चे और महिलाएँ हैं।
बीडीएस इण्डिया अभियान के सदस्य भी इस प्रदर्शन में बैनर और उन कम्पनियों की सूची के साथ शामिल हुए जो फ़िलिस्तीनी जनता के ख़िलाफ़ हो रहे नरसंहार को फण्ड कर रही हैं। IPSP द्वारा किया गया यह प्रदर्शन यह साबित करता है कि प्रतिरोध इस अँधेरे समय में न सिर्फ़ आवश्यक है बल्कि सम्भव भी है।
IPSP सभी प्रगतिशील, फ़ासीवाद-विरोधी और ज़ायनवाद-विरोधी व्यक्तियों और समूहों से अपील करता है कि वे फ़िलिस्तीन के इस संघर्ष में हमारे साथ जुड़ें और इज़रायली उत्पादों और इज़राइल को समर्थन करने वाली सभी कम्पनियों का बहिष्कार करें। फ़िलिस्तीनी अवाम का मुक्ति-संघर्ष दुनियाभर के सभी न्यायप्रिय और इन्साफ़पसन्द लोगों के दिलों में गूँजता है।