समाजवादी पार्टी के सांसद ने शनिवार को गाजा में संघर्ष विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुए प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने के लिए मोदी सरकार पर हमला किया है।
जिया उर रहमान बर्क ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि, UN में 12 जून को ग़ाज़ा युद्धविराम के पक्ष में वोटिंग हुई जहाँ पूरी दुनिया इंसानियत के साथ खड़ी रही, वहीं भारत ने वोटिंग से ही दूरी बना ली।
गाज़ा में 60,000 से ज़्यादा मौतें हो चुकी है, बच्चे भूख से तड़पकर मर रहे हैं, पूरा शहर लगभग खंडहर में बदल गया है. पूरी दुनिया के मानवअधिकार पर काम करने वाले लोग गाज़ा की मदद के लिये दुनियाभर में विरोध कर रहे है। और भारत वोटिंग से गायब है!
क्या ये वही भारत है, जो कभी गांधी और नेहरू के रास्ते पर चलकर दुनिया के सामने न्याय और मानवता की आवाज़ बना था?
आज हमारी चुप्पी उस सिद्धांत को तोड़ रही है, जिसके लिए भारत कभी जाना जाता था।
सवाल है: क्या अब भारत की विदेश नीति सिर्फ रिश्तों की मजबूरी बन गई है?
अगर भारत को वैश्विक नेतृत्व चाहिए, तो उसे अन्याय के खिलाफ बोलना होगा — जोर से नहीं, ज़मीर से। विदेश मंत्रालय को जवाब देना चाहिए — भारत वोटिंग से ग़ायब क्यों था?