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क्यो भारत के लोग शेर ए मैसूर टीपू सुल्तान को भूलते जा रहे है,यह वही टीपू सुल्तान है जिन्होंने सबसे पहला राॅकेट बनाया था

“शेर की एक दिन की जिंदगी लोमड़ी की सौ साल की जिंदगी से बेहतर है” यह लाइन उस जिंदादिल इंसान की जिसको हम भुला चुके है।

आज शेर ए हिन्द हज़रत टीपू सुल्तान की पुण्यतिथि है आज ही के दिन अंग्रेजो की नाक में दम करने वाले टीपू सुल्तान को शहादत नसीब हुई थी।

10 नवंबर 1750 को बेंगलूर (कर्नाटक) में हैदर अली के यहाँ जन्मे थे शेर ए मैसूर सुलतान फतह अली खान साहब (टीपू सुल्तान)।

टीपू सुल्तान मैसूर साम्राज्य के ताकतवर शासक थे अंग्रेजो को धूल चटाने वाले टीपू सुल्तान को भारत का पहला स्वतंत्रता सेनानी भी माना जाता है

टीपू सुल्तान ने 15 वर्ष की उम्र में ही मालाबार साम्राज्य पर अपना नियंत्रण कर लिया था तब उनके पास सिर्फ 2000 सैनिक थे और मालाबार की सेना काफी ज्यादा थी। लेकिन उनके शाहस और ताकत के सामने मालाबार की सैना पस्त हो गई।

टीपू सुल्तान ने सबसे पहले बास के राॅकेट का अविष्कार किया था यह राॅकेट हवा में 200 मीटर तक की दूरी तय करके दुश्मनों पर निशाना साध सकते थे।

टीपू सुल्तान ने 156 मंदिरों को जमीन और गहने दान दिए थे। तथा 10 हज़ार सोने के सिक्के कांची मंदिर को दान दिए थे। इनके पास 2 हजार किताबों की लाइब्रेरी थी जो ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी भेज दी गई।

चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ मराठाओं ने मिलकर टीपू सुल्तान पर हमला किया था जिसमें वह 4 मई 1799 को श्रीरंगापटना में शहीद हो गयें।

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