जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने वक्फ पर जेपीसी के खिलाफ जोरदार ढंग से आवाज उठाई और कहा कि मुस्लिम संगठन वक्फ संशोधन विधेयक-2024 के जरिए वक्फ की जमीन हड़पने के प्रयासों का विरोध करने के लिए सभी कानूनी साधन अपनाएंगे।
जमाअत के मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कांफ्रेंस को ब्रीफ करते हुए उनहोंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक 2024, मुसलमानों के धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों के लिए खतरा है।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद इसका कड़ा विरोध करती है। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने विपक्ष की आवाजों और नागरिकों की लाखों आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया। व्यापक विरोध के बावजूद विधेयक को पारित कर दिया गया। इससे प्रतीत होता है कि परामर्श प्रक्रिया निरर्थक अभ्यास था। इस विधेयक का उद्देश्य सुधार के नाम पर वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल करना है। यह वक्फ की परिभाषा में बाधा डालता है, संरक्षक की भूमिका में बदलाओ लाता है और वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता को कम करता है।
उल्लेखनीय बात यह है कि केन्द्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान है जिससे परिषद में उनका प्रतिनिधित्व एक से बढ़कर 13 और बोर्डों में सात हो जाएगा। यह अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है, जो धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपने संस्थानों के प्रबंधन के अधिकार की रक्षा करता : जमाअत-ए-इस्लामी हिंद एनडीए के सहयोगियों और विपक्ष सहित सभी धर्मनिरपेक्ष दलों से इस विधेयक का विरोध करने का आग्रह करती है, जो संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 29 और 14 का उल्लंघन करता है।
जमाअत सरकार से इस विधेयक को वापस लेने और इसके बजाय मौजूदा वक्फ कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह करती है। सरकार द्वारा उक्त विधेयक को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित करने की दुर्भाग्यपूर्ण संभावना को देखते हुए जमाअत -ए-इस्लामी हिंद अन्य मुस्लिम संगठनों के साथ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) का समर्थन करेगी और मुस्लिम समुदाय के हड़पे गए अधिकारों को सुरक्षित करने और उनके वक्फ संस्थानों और संपत्तियों की रक्षा करने के लिए सभी कानूनी और संवैधानिक साधनों को अपनाकर इन प्रयासों का विरोध करेगी।