ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर दिए गए अंतरिम आदेश को अधूरा और असंतोषजनक करार दिया है।
बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एस. क्यू. आर. इलियास ने बयान में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भले ही कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है, लेकिन मुस्लिम समुदाय, पर्सनल लॉ बोर्ड और न्यायप्रिय नागरिकों को उम्मीद थी कि संविधान विरोधी सभी धाराओं पर रोक लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने आंशिक राहत दी है, लेकिन व्यापक संवैधानिक चिंताओं को नहीं संबोधित किया, जिससे निराशा हुई है।
डॉ. इलियास ने आगे कहा कि कई अहम प्रावधान जो पूरी तरह मनमाने और सामुदायिक समझ के खिलाफ हैं, उन पर अंतरिम स्तर पर रोक नहीं लगाई गई। उन्होंने आशंका जताई कि सरकार की पक्षपातपूर्ण कार्यशैली के चलते इन धाराओं का दुरुपयोग हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश की मुख्य बातें
- संपत्ति अधिकार की सुरक्षा: अदालत ने आदेश दिया कि वक्फ संपत्तियों को अंतिम निर्णय आने तक न तो छीना जा सकता है और न ही रिकॉर्ड में बदलाव किया जा सकता है।
- मनमानी शक्तियों पर रोक: कोर्ट ने धारा 3C पर रोक लगाई और स्पष्ट किया कि कोई सरकारी अधिकारी एकतरफा फैसला नहीं कर सकता कि कौन वक्फ बना सकता है।
- शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत: अदालत ने कहा कि राजस्व अधिकारी को संपत्ति के स्वामित्व तय करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता।
- ग़ैर-मुस्लिम सदस्यता: सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 22 में से अधिकतम 4 और राज्य वक्फ बोर्ड में 11 में से अधिकतम 3 सदस्य ही गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।
- 5 साल से मुस्लिम होने की शर्त: कोर्ट ने इस मनमानी शर्त पर भी रोक लगा दी है कि वक्फ बनाने वाला व्यक्ति कम से कम पाँच साल से मुस्लिम होना चाहिए।
बोर्ड की माँग और आंदोलन
बोर्ड का कहना है कि यह पूरा संशोधन वक्फ संपत्तियों को कमजोर करने और हड़पने की साजिश है। इसलिए वह इस कानून की पूरी तरह वापसी और पुराने वक्फ एक्ट की बहाली की मांग करता है।
डॉ. इलियास ने घोषणा की कि “सेव वक्फ अभियान” पूरे जोश से जारी रहेगा। 1 सितम्बर 2025 से शुरू हुआ दूसरा चरण धरना-प्रदर्शन, वक्फ मार्च, ज्ञापन सौंपने, नेतृत्व की गिरफ्तारी, अंतरधार्मिक सम्मेलन और प्रेस कॉन्फ्रेंस जैसे कार्यक्रमों के साथ जारी है।
इस अभियान का समापन 16 नवम्बर 2025 को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल रैली के रूप में होगा, जिसमें देशभर से लोग शामिल होंगे।