नेशनल फेडरेशन ऑफ यूथ मूवमेंट (NFYM) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़े हालिया घटनाक्रम की कड़ी निंदा की है। संगठन का आरोप है कि मुख्यमंत्री को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान एक मुस्लिम महिला का नक़ाब खींचते हुए देखा गया, जो एक महिला की गरिमा और आत्मसम्मान पर गंभीर हमला है।
मीडिया को जारी बयान में NFYM के चेयरमैन मसीहउज़्ज़मा अंसारी ने कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से इस तरह के आचरण की उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग से इस मामले का स्वतः संज्ञान लेने और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नोटिस जारी करने की मांग की।
NFYM अध्यक्ष ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों से संवेदनशीलता, मर्यादा और जिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। इस प्रकार की घटनाएं न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हैं, बल्कि संवैधानिक शिष्टाचार और सामाजिक मर्यादा का भी उल्लंघन हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना के बाद कुछ लोग मुख्यमंत्री की मानसिक स्थिति को लेकर तर्क दे रहे हैं। यदि वास्तव में ऐसा है, तो ऐसे व्यक्ति को किसी भी संवैधानिक पद पर बने रहने या सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने से स्वयं को अलग कर लेना चाहिए। मानसिक बीमारी को किसी भी स्थिति में अनुचित आचरण के औचित्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
NFYM ने राष्ट्रीय महिला आयोग से अपील की कि वह इस घटना को एक महिला की गरिमा और पहचान पर हमले के रूप में देखे, इसकी गंभीरता को समझे और बिना किसी भेदभाव के उचित कार्रवाई सुनिश्चित करे।
संगठन ने स्पष्ट किया कि महिलाओं के सम्मान, गरिमा और अधिकारों के मामले में किसी भी तरह का समझौता स्वीकार्य नहीं है।
NFYM ने यह भी चिंता जताई कि पिछले कुछ वर्षों में मुसलमानों, अन्य अल्पसंख्यक समुदायों, कमजोर और हाशिए पर मौजूद वर्गों के खिलाफ लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों की बढ़ती संख्या, चाहे वह शैक्षणिक संस्थान हों या समाज के अन्य क्षेत्र, अत्यंत गंभीर चिंता का विषय है।
कई मामलों में मानसिक असंतुलन का तर्क बार-बार सामने लाया जाता है, जिसे संगठन ने न्यायिक और सामाजिक जवाबदेही से बचने का माध्यम बताया। NFYM का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति वास्तव में मानसिक रूप से अक्षम है, तो उसे सार्वजनिक या संवैधानिक जिम्मेदारियां निभाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
संगठन ने ‘सुल्ली डील्स’ और ‘बुल्ली बाई’ ऐप मामलों का भी उल्लेख किया, जहां मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन “नीलामी” की गई और आरोपियों को उनके करियर का हवाला देकर नरमी के साथ जमानत दी गई। इसके अलावा 31 जुलाई 2023 को जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट ट्रेन में आरपीएफ कांस्टेबल द्वारा तीन मुस्लिम यात्रियों की हत्या के मामले में भी मानसिक बीमारी को बचाव के तौर पर पेश किए जाने की याद दिलाई गई।
NFYM ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को केवल व्यक्तिगत कृत्य मानकर नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इन्हें सामाजिक और संस्थागत जिम्मेदारी के रूप में लिया जाना चाहिए। संगठन ने मांग की कि दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाए और किसी भी स्तर पर भेदभाव न किया जाए।

