ऑल इंडिया मुस्लिम वीमेन एसोसिएशन (AIMWA) ने गुरुवार को दिल्ली स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में बड़ा महिला सम्मेलन आयोजित कर वक़्फ़ संशोधन क़ानून 2025 को पूरी तरह ख़ारिज कर दिया।
यह कार्यक्रम ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना उबैदुल्लाह ख़ान आज़मी के मार्गदर्शन में हुआ, जबकि अध्यक्षता पूर्व सांसद और इंडियन मुस्लिम्स फ़ॉर सिविल राइट्स (IMCR) के अध्यक्ष मोहम्मद अदीब ने की।
सम्मेलन में वकीलों, नेताओं, कार्यकर्ताओं और समुदाय के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने शिरकत की। वक्ताओं ने कहा कि यह संशोधन मुसलमानों के संवैधानिक और धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप है और इससे मस्जिदें, कब्रिस्तान व अन्य वक़्फ़ संपत्तियाँ अतिक्रमण के ख़तरे में आ जाएंगी।
मुस्लिम महिलाओं का कड़ा संदेश
AIMWA की अध्यक्ष डॉ. असमा ज़हरा ने कहा –
“वक़्फ़ की हिफ़ाज़त हमारे सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक ढांचे की हिफ़ाज़त है। यह क़ानून सशक्तिकरण नहीं बल्कि हमारी जड़ों को कमजोर करने की साज़िश है। वक़्फ़ हमारे स्कूलों, मस्जिदों, अस्पतालों और ईदगाहों को संबल देता है। इतिहास में 40% से ज़्यादा वक़्फ़ दान महिलाओं ने दिए हैं। वक़्फ़ की सुरक्षा हमारे अस्तित्व की सुरक्षा है।”
महाराष्ट्र की सांसद फ़ौज़िया ख़ान ने चेताया कि वक़्फ़ संपत्तियों पर लिमिटेशन एक्ट लागू करने से अतिक्रमण तेज़ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह लंबा संघर्ष है लेकिन महिलाएँ हमेशा समाज निर्माण में अगुवाई करती रही हैं और आगे भी करेंगी।
“कॉर्पोरेट नज़रें वक़्फ़ ज़मीनों पर”
सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. वी.के. त्रिपाठी ने संशोधन को “कठोर और खतरनाक” बताया। उन्होंने कहा,
“यह क़ानून मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों पर शक पैदा करता है। लाखों गाँवों में मस्जिदें मौजूद हैं, उनकी सुरक्षा बेहद ज़रूरी है। कॉर्पोरेट घराने इन ज़मीनों पर नज़र गड़ाए बैठे हैं, जिससे मामला और गंभीर हो गया है।”
वरिष्ठ नेताओं की शिरकत
सम्मेलन में वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, एसडीपीआई उपाध्यक्ष मोहम्मद शफ़ी और स्व. अहमद पटेल की बेटी मुमताज़ पटेल ने भी वक़्फ़ संशोधन का विरोध किया। खुर्शीद ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और समुदाय को उम्मीद बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और यूपी मदरसा मामलों में राहत मिली, वैसे ही कानूनी लड़ाई के साथ समाज में जागरूकता भी ज़रूरी है।
AIMWA की उपाध्यक्ष अफ़रोज़ फ़ातिमा ने कहा,
“हमारा मस्जिदों और वक़्फ़ से प्यार हमें यहाँ तक लाया है। हम इस संदेश को गाँव-गाँव और शहर-शहर तक ले जाएँगे। महिलाएँ ही जागरूकता फैलाकर इस आंदोलन की अगुवाई करेंगी।”
सम्मेलन का समापन शांतिपूर्ण प्रतिरोध जारी रखने और देशभर में जागरूकता अभियान चलाने के संकल्प के साथ हुआ।