स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) ने भारत और इज़राइल के बीच हुए द्विपक्षीय निवेश समझौते (BIA) की कड़ी निंदा की है।
संगठन ने कहा कि भारत सरकार ने इज़राइल के अति-दक्षिणपंथी वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोट्रिच का स्वागत करके “एक अपार्थाइड शासन के साथ हाथ मिलाया है, जिसने अब तक गाज़ा में 64,500 से अधिक फिलिस्तीनियों की हत्या और 1.63 लाख से ज़्यादा लोगों को घायल किया है।”
SIO ने अपने बयान में कहा कि जिस समय पूरी दुनिया गाज़ा नरसंहार को लेकर इज़राइल पर प्रतिबंध और जवाबदेही की मांग कर रही है, उस समय भारतीय सरकार ने “शर्मनाक तरीके से उत्पीड़क के साथ आर्थिक रिश्ते मज़बूत करने का रास्ता चुना।”
संगठन ने भारत की ऐतिहासिक उपनिवेश-विरोधी परंपरा का हवाला देते हुए कहा कि यह कदम उसी विरासत से विश्वासघात है।
“इज़राइल की अपार्थाइड परियोजना को भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के बराबर ठहराना एक खतरनाक विकृति है, जो नरसंहार और कब्ज़े को वैध ठहराती है। भारत को अपने पुराने रुख पर लौटना चाहिए – फिलिस्तीन का समर्थन और औपनिवेशिक उत्पीड़न का विरोध।”
SIO ने सभी लोकतांत्रिक आवाज़ों से अपील की कि वे इस “उत्पीड़न में साझेदारी” का विरोध करें और फिलिस्तीनी जनता के न्याय, गरिमा और मुक्ति के लिए मज़बूती से खड़े हों। संगठन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर भी साझा किया, जिसमें लिखा था – “जनसंहारक राज्य का मंत्री भारत से लौटे, युद्ध अपराधी का यहां स्वागत नहीं।”
यह बयान उस समझौते के अगले ही दिन सामने आया, जब नई दिल्ली में स्मोट्रिच और भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है।

