एक शानदार नारा आपने भी सुना होगा जिसकी धूम राजनीतिक हल्कों में बहुत ज्यादा थी,
“यह जवानी है कुर्बान राहुल गांधी तेरे नाम”
अब बताओ भला जो व्यक्ति राहुल गांधी के नाम पर अपनी जवानी कुर्बान करता हो, कांग्रेस की तरफ से वांद्रे पूर्व से विधायक हो उसको अचानक से कांग्रेस मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देती है।
हालिया एक इंटरव्यू में जीशान सिद्दीकी ने कहा है कि,
“सुना है पुराने दोस्तों ने बांद्रा पूर्व में अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. साथ निभाना तो कभी इनकी फितरत में था ही नहीं. रिश्ता उसी से रखो जो इज़्ज़त और सम्मान दे, मतलब की भीड़ बढ़ाने का कोई फ़ायदा नहीं.”
इन शब्दों में कितनी तल्खी और नाराजगी है आप खुद समझ सकते है। एक शेर है कि “दंगों में मारे जाओ इतने मुसलमान तो हो” इस बात को हकीकत में अमली जामा कांग्रेस में पहनाया जाता है।
राजीव शुक्ला मनीष तिवारी जैसे नेता जो अपने समाज का 5% वोट भी कांग्रेस को नहीं दिलवा पाए हैं उनका कांग्रेस के संगठन पर कब्जा है।
और जो मुसलमान एकमुश्त 20% वोट पार्टी को देता है उसका संगठन पर कंट्रोल तो छोड़िए अपने लिए एक-एक टिकट को लेने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है।
सोचिए जो पार्टी बाबा सिद्दीकी के जवानी कुर्बान वाले लौंडे जीशान सिद्दीकी की बात सुनने को तैयार ना हो वह मुसलमान के मुद्दों पर कितनी ही मुखर होगी!
इसीलिए मैं हमेशा कहता हूं कि मुसलमानों के पास राजनीतिक तौर पर जितने ज्यादा ऑप्शन मौजूद रहेंगे उतना बेहतर रहेगा।
उतना ही तथाकथित सेकुलर पार्टियों का दिमाग ठिकाने पर रहेगा वरना यह लोग पल भर में हवाबाजी करने लगते हैं।
वैसे महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को इन फर्ज़ी लोकतंत्र बचाओ पार्टियों कांग्रेस शिवसेना उद्धव ठाकरे और NCP शरद पवार को ठेंगा दिखाकर दूसरे ऑप्शन की तरफ जाना चाहिए।
इनको सीधा कह दो कि जाओ तुम अपनी औकात के हिसाब से भाजपा को हरा सकते हो तो हरा लो मुसलमान इस बार छुट्टी पर है।
जिस शुक्ला तिवारी को संगठन की कमान दे रखी है उनको बोलो अपने समुदाय जो भाजपा का कट्टर वोटर है उसका वोट कांग्रेस को दिलवा कर दिखाओ!
(यह लेख अंसार इमरान ने लिखा है, लेखक रिसर्चर है)