जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित श्री माता वैष्णो देवी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस की पहली बैच की एडमिशन लिस्ट पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस वर्ष जारी सूची में 50 में से 42 छात्र कश्मीरी मुस्लिम हैं, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा से एडमिशन लिस्ट रद्द करने की मांग की। भाजपा प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपा गया ज्ञापन एलजी मनोज सिन्हा ने स्वीकार कर लिया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने 22 नवंबर को जम्मू में एलजी से मुलाकात की।
ज्ञापन में वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के नियमों में संशोधन कर विश्वविद्यालय में केवल हिंदू छात्रों के लिए सीटें आरक्षित करने की मांग की गई।
सुनील शर्मा ने कहा —
“प्रवेश सूची में ज़्यादातर छात्र एक ही समुदाय से हैं। विश्वविद्यालय एक धार्मिक संस्थान है और लोग श्रद्धा व दान से इसे चलाते हैं, इसलिए जिन्होंने माता वैष्णो देवी में आस्था नहीं, उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए।”
इससे पहले भी जम्मू में भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठनों और धार्मिक समूहों ने विरोध प्रदर्शन किया था। विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने संस्थान के बाहर प्रदर्शन कर श्राइन बोर्ड के सीईओ का पुतला भी फूंका। विरोध जताते हुए विहिप ने यह आरोप लगाया कि “यह मेडिकल कॉलेज का इस्लामीकरण करने की साजिश है।”
एलजी द्वारा भाजपा के ज्ञापन को स्वीकार करने पर कई राजनीतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा —
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एलजी ने इतना सांप्रदायिक ज्ञापन स्वीकार कर लिया। देश में सभी धर्मों के छात्र अल्पसंख्यक संस्थानों में पढ़ते हैं — हिंदू छात्र एएमयू और जामिया में पढ़ते हैं, लेकिन इसका कोई विरोध नहीं करता।”
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भाजपा के रुख को “शर्मनाक” बताया।
उन्होंने कहा —
“नए कश्मीर में मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव अब शिक्षा तक फैल चुका है। विडंबना यह है कि मुस्लिम विरोधी भेदभाव भारत के इकलौते मुस्लिम बहुल राज्य में लागू किया जा रहा है।”
विवाद के बीच संस्थान और अधिकारियों ने साफ किया है कि सभी चयन राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) के दिशा-निर्देशों और निर्धारित मेरिट प्रक्रिया के आधार पर किए गए हैं, किसी भी छात्र को धर्म के आधार पर नहीं चुना गया।

