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गाज़ा जाने वाले ग्लोबल सुमुद फ़्लोटिला के समर्थन में उतरे 16 देश, सुरक्षा की मांग की

गाज़ा पट्टी के लिए रवाना ग्लोबल सुमुद फ़्लोटिला (GSF) को लेकर 16 देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और अंतर्राष्ट्रीय कानून व मानवीय कानून का सम्मान करने की अपील की है।

बयान जारी करने वाले देशों में क़तर, बांग्लादेश, ब्राज़ील, कोलंबिया, इंडोनेशिया, आयरलैंड, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, मैक्सिको, पाकिस्तान, ओमान, स्लोवेनिया, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन और तुर्की शामिल हैं।

विदेश मंत्रियों ने चेतावनी दी कि फ्लोटिला से जुड़े मानवाधिकारों या अंतर्राष्ट्रीय जल में जहाज़ों पर हमले तथा अवैध हिरासत जैसी किसी भी कार्रवाई की जवाबदेही तय की जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस बेड़े का उद्देश्य गाज़ा में मानवीय सहायता पहुँचाना और फिलिस्तीनियों की गंभीर ज़रूरतों तथा युद्धविराम की आवश्यकता पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करना है।

इससे पहले यूरोप के 158 सांसदों, यूरोपीय संसद सदस्यों और सीनेटरों ने भी अपने विदेश मंत्रालयों से फ़्लोटिला की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की थी।

गौरतलब है कि हाल ही में ट्यूनीशियाई जलक्षेत्र में फ़्लोटिला पर लगातार दो बार ड्रोन हमले हुए। सोमवार को “अल्मा” नामक ब्रिटिश ध्वज वाली नाव पर हमला किया गया, जिसमें आग लग गई। हालांकि, आग पर क़ाबू पा लिया गया और सभी यात्री व चालक दल सुरक्षित रहे। यह हमला एक दिन पहले “फ़ैमिली” नाव को निशाना बनाए जाने के बाद हुआ।

ग्लोबल सुमुद फ़्लोटिला दुनिया का सबसे बड़ा नागरिक समुद्री प्रयास है, जिसमें 44 देशों के 50 से अधिक जहाज़ और हज़ारों लोग शामिल हैं। अगस्त 2025 में यह जहाज़ यूरोप के विभिन्न बंदरगाहों से रवाना हुआ था और गाज़ा जाने से पहले ट्यूनीशिया में रुका।

फ़्लोटिला में कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भी भाग ले रही हैं, जिनमें जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और बार्सिलोना की पूर्व मेयर एडा कोलाऊ शामिल हैं।

ध्यान रहे कि 2 मार्च 2025 से इज़राइल ने गाज़ा में भोजन, दवाइयाँ और ईंधन समेत सभी मानवीय सहायता को रोक रखा है। इस साल कार्यकर्ताओं द्वारा सहायता पहुँचाने के दो प्रयासों को भी इज़राइली सरकार ने विफल कर दिया था, जिसे विशेषज्ञ अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन मानते हैं।

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