बाबरी मस्जिद पर कोर्ट के फैसले से खुश हिंदुत्ववादी संगठनों ने अपने कदम आगे बढ़ाने शुरू कर दिए है तथा अपना नारा “अयोध्या तो झांकी है काशी-मथुराबाकी है” की और चल पढ़े है।
उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर एवं ज्ञानवापी मस्जिद विवाद अब ज़ोर पकड़ता जा रहा है मामला अदालत पहुंचने के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मामले की पुरातात्विक सर्वेक्षण करवाने का आदेश दे दिया है।
अदालत ने यह जांच उत्तर प्रदेश सरकार से अपने खर्च पर करवाने का आदेश दिया है। तथा सर्वेक्षण में भारतीय पुरातात्विक विभाग के पाँच वरिष्ठ लोगों को शामिल करने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट इस समिति के जरिए यह पता लगाना चाहता है कि मस्जिद बनाने से पहले क्या यहां पर कोई हिंदू मंदिर था और अगर था तो कितना पुराना था।
हालांकि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड इस मामले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।
सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी का कहना है कि यह फैसला प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ है जिसके तहत कोर्ट का आदेश था कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय और धर्म का था वह उसी का रहेगा तथा उसी स्थान पर रहेंगा।