एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने धर्म की राजनीति करने वाले लोगों पर जमकर अपना गुस्सा निकलते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर किया है।
इस पोस्ट में रवीश कुमार ने लिखा कि लखनऊ लाशनऊ बन चुका है और धर्म का नशा बेचने वाले लोगों को मरता छोड़ दिए है।
उन्होंने आगे कहा कि “विश्व गुरु भारत आज मणिकर्णिका घाट में बदल गया है। जिसकी पहचान बिना आक्सीजन से मरे लाशों से हो रही है। अख़बार लिख रहे होंगे कि दुनिया में भारत की तारीफ़ हो रही है। आम और ख़ास हर तरह के लोगों को अस्पताल के बाहर और भीतर तड़पता छोड़ दिया है”।
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद कहां है? वह अपने लोगों को अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं दिला पा रहा है। एंबुलेंस नहीं दिला पा रहा है। श्मशान में लकड़ी का रेट बढ़ गया है। लोग अपनों को लेकर चीख रहे हैं। चिल्ला रहे हैं। हिन्दुस्तान का यह संकट वैज्ञानिक रास्तों को छोड़ जनता को मूर्ख बनाने और समझने के अहंकार का संकट है। जनता कीमत चुका रही है। इस हाल में आप खुद को विश्व गुरु कहलाने का दंभ भरते हैं? शर्म नहीं आती है?
रवीश कुमार ने आइटी सेल को भी जमकर लताड़ा और कहा कि इस बीच आई टी सेल सक्रिय हो गया है। गुजरात में लोग मर रहे हैं उस पर वह शर्मिंदा नहीं है। लेकिन मैसेज घुमाया जा रहा है कि महाराष्ट्र में भी तो लोग मर रहे हैं। क्या वहां लाशों की रिकार्डिंग करते वक्त फोन की बैटरी खत्म हो जाती है? ये वाला मैसेज आप तक पहुंचा होगा।आपकी मर्ज़ी। आप खुशी खुशी इसकी चपेट में रहें। नोटबंदी के समय कैसा भयावह मंज़र था, जब आम लोगों के गुल्लक तक से पैसे उड़ गए, उसी तरह का दौर इस वक्त गुज़र रहा है। आम लोगों की सांसें उखड़ जा रही हैंं। फ्राड नेताओ ने आक्सीजन का इंतज़ाम नहीं कर सके और लोग मर गए। वो कल फिर महान बन जाएंगे। धर्म का मुद्दा कम तो है नहीं। कहीं कोई मस्जिद कहीं कोई मंदिर का मसला आ जाएगा और वे आपके रक्षक बन कर आ जाएंगे। लेकिन जब आक्सीजन देकर रक्षा करने की बात आएगी तो भाग जाएंगे। कोई व्यवस्थित लोकतंत्र होता तो आपराधिक मुकदमा चलाया जाता सरकार पर। पर ख़ैर। आप व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी में वो जो मुगली घुट्टी पिला रहे हैं पीते रहिए।