कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार ने मुस्लिमों को मिलने वाला आरक्षण छीन कर अन्य समुदायों में बाट दिया हैं।
मुस्लिमों को मिल रहे 4 फीसदी आरक्षण को खत्म करके इसे 2-2 फीसदी वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय में बांट दिया गया है।
इस प्रकार पहले से आरक्षण का लाभ उठा रहें वोक्कालिगा समुदाय का आरक्षण 4 फीसदी से बढ़कर 6 फीसदी हो गया है तथा लिंगायत समुदाय का आरक्षण 5 से बढ़कर 7 फीसदी हो गया है।
आपको बता दे कि कर्नाटक में मुसलमानों की 16 फ़ीसदी आबादी हैं तथा इनके पिछड़ेपन को देखते हुए 1995 में एचडी देवगौड़ा सरकार ने मुसलमानों को आरक्षण देने का फ़ैसला किया था. जिसके बाद से ही मुसलमानों को आरक्षण का लाभ मिल रहा था।
मुसलमानों को मिलने वाला आरक्षण ख़त्म होने पर जमीअत उलेमा ए हिंद ने विरोध करते हुए हाईकोर्ट जाने का फ़ैसला किया हैं।
जमीअत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कर्नाटक सरकार द्वारा मुसलमानों के पिछड़े वर्ग के लिए 27 वर्षों से जारी 4% आरक्षण को समाप्त किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है और इसे देश की व्यापक विकास नीति के लिए हानिकारक बताया है तथा जमीअत ने इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का निर्णय किया है।
इस मामले पर पूर्व आइपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान का कहना हैं कि, कर्नाटक में मुसलमानों के 4% आरक्षण को खत्म कर दिया है जो 1995 से मिल रहा था. वोकालिगा और लिंगायत जातियों को खुश करने के लिए एक साम्प्रदायिक कदम उठाया गया है. पिछड़े मुसलमानों के मूंह का निवाला छीन रहे हैं. पता नहीं किस मूंह से पसमांदा मुसलमानों के पास जाते हैं।