उत्तर प्रदेश के पूर्व सांसद अतीक अहमद एवं उनके भाई पूर्व विधायक अशरफ़ अहमद की हत्या के बाद से बहुत सारे गंभीर सवाल खड़े हो रहें हैं जिनसे लगता हैं कि यह बहुत बड़ी साजिश हैं और उच्च पदों पर बैठे लोग भी इसमें शामिल हैं।
कैमरे में कैद हुए हत्याकांड से पता चलता है कि हत्यारों ने महज 40 सेकेंड और 18 राउंड फायरिंग करके दोनों भाइयों को मौत के घाट उतार दिया।
इस हत्याकांड के बाद से हत्यारों के द्वारा इस्तेमाल की गई पिस्तौल को लेकर कई सवाल खड़े हो रहें हैं कि आख़िर वह कौन सी पिस्तौल हैं जिससे महज 40 सेकेंड में इतने बड़े हत्याकांड को अंजाम दिया गया।
हत्याकांड में इस्तेमाल पिस्तौल के बारे में जब खोजबीन की गई तो पता चला कि हत्यारों ने जिगाना पिस्टल का इस्तेमाल किया था।
आपको बता दें कि, जिगाना पिस्टल सिर्फ़ तुर्की में बनती हैं तथा मलेशिया और तुर्की मिलकर इसको बनाते हैं. यह भारत में बैन है. इसे गैरकानूनी तरीके से भारत में लाया जाता है तथा इसकी कीमत लगभग 7 लाख रुपए बताई जा रही हैं।
जिगाना पिस्टल में एक बार में 15 गोलियां लोड होती हैं, मलेशियाई सेना, अज़रबैजान सशस्त्र बल, फिलीपींंस राष्ट्रीय पुलिस और यूएस कोस्ट गार्ड इसका इस्तेमाल करते हैं।
अब सवाल यह उठता हैं कि आखिर यह भारत में कहां से आई और इन गरीब हत्यारों को कहां से मिली?
पत्रकार शादाब मोइजी ने भी इस पिस्तौल को लेकर सवाल खड़े करते हुए पूछा हैं कि, अतीक अहमद की हत्या करने वाले ‘ग़रीब’ के पास महँगे पिस्टल कहाँ से आए? किसने दिया? मतलब और भी कई लोग हैं? अगर इन तीनों के पास हथियार के लिए पैसे थे तो फिर इन लोगों ने अपने परिवार की ग़रीबी दूर क्यों नहीं की? पिस्टल आ भी गया तो गोली चलाने की ट्रेनिंग किसने दिलाई? ध्यान रहे कहानी बनाई जा रही है।