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दिल्ली: खालसा कॉलेज में छात्रों के एक गुट ने सिख छात्र को बेरहमी से पीटा, छात्र की पगड़ी खुली, पुलिस ने दर्ज़ की FIR

दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव को लेकर माहौल गर्म है, इसी बीच श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में छात्रों के एक गुट ने एक एक छात्र की बेरहमी से पिटाई कर दी।

इस घटना से जुड़ी एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहीं है जिसमें छात्रों का एक गुट सिख छात्र को पीटता हुआ दिखाई दे रहा है, इस दौरान सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले छात्र की पगड़ी भी खुल जाती है।

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गुरु मोहिंदर सिंह ने ईटीवी को बताया कि शनिवार को कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही थी. उस दौरान छात्र संगठन से जुड़े हुए छात्र कॉलेज चुनाव में प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर रहे थे।

नामांकन की प्रक्रिया सामान्य तरीके से चल रही थी, अचानक करीब 1.55 बजे कॉलेज के पूर्व छात्रों के एक समूह ने कुछ छात्रों के नामांकन फाड़ने शुरू कर दिए. इस दौरान वहां पर कॉलेज के मौजूदा छात्रसंघ के जॉइंट सेक्रेटरी पवित सिंह के साथ कॉलेज से पासआउट कुछ छात्रों के समूह ने मारपीट शुरू कर दी. वे पवित द्वारा अन्य छात्रों का नामांकन कराने का विरोध कर रहे थे. इसी के चलते उन्होंने पवित के साथ मारपीट की और इस दौरान उसकी पगड़ी खुल गई।

पीड़ित छात्र ने अपनी शिकायत में कॉलेज के पूर्व छात्र साजन तोमर का नाम लिया है. पुलिस ने पीड़ित छात्र की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दबिश देनी शुरू कर दी है।

इस घटना को लेकर एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी का कहना है कि, खालसा कॉलेज की घटना आज दिल्ली विश्वविद्यालय के अंदर बढ़ती हिंसा का चित्रण है। छात्र परिसर में सुरक्षित नहीं हैं, और यह सही समय है कि विश्वविद्यालय प्रशासन अपने छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले।

हम खालसा कॉलेज के छात्रों के साथ मजबूती से खड़े हैं और इस शर्मनाक घटना में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ सख्त और तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं। एनएसयूआई भारत के विभिन्न हिस्सों और विभिन्न पहचानों से आने वाले छात्रों के लिए हिंसा मुक्त और सुरक्षित परिसर के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करता है।

हमारा मानना ​​है कि हिंसा या धमकी के डर के बिना सुरक्षित माहौल में पढ़ाई करना हमारा बुनियादी अधिकार है। इस तरह की घटनाएं न केवल विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल करती हैं, बल्कि शैक्षणिक माहौल की पवित्रता को भी प्रभावित करती हैं।

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