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मुसलमानों ने गणपति विसर्जन के लिए ईद मिलादुन्नबी के जुलुस की तारीख बदल दी लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ जेल मिली: अबू आसिम आजमी

महाराष्ट्र के दोंडाईचा में त्योहारों के दौरान किसी तरह की घटना ना हो और प्रशासन को कानून व्यवस्था में बाधा ना आए इसलिए मुसलमानों ने गणपति विसर्जन के लिए अपने ईद मिलादुन्नबी के जुलुस की तारीख बदल दी थी।

लेकिन उसके बाद भी ईद मिलाद उन नबी के जुलूस पर हुए पथराव को लेकर अबू आसिम आजमी ने गुस्से का इज़हार करते हुए कहा कि हमने जुलूस की तारीख बदली और बदले में हमें सिर्फ जेल मिली।

अबू आसिम आजमी का कहना है कि, स्थानिक मुस्लिम समाज के लोगों ने ईद मिलादुन्नबी के जुलुस को 14 सितम्बर को ना निकालते हुए 16 सितम्बर की परमिशन मांगी, वो भी नहीं दी गई।

पुलिस-प्रशासन ने हमें 19 सितम्बर की अनुमति दी, उसके बावजूद ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ के स्मारक के पास 200-250 सांप्रदायिक गुंडें जमा होते है मुसलमानों के और इस्लाम के खिलाफ नारे बाज़ी करते हुए ईद मिलादुन्नबी के जुलुस पर पत्थराव करते है।

पहले पत्थर जुलुस पर चलता है उसी एक्शन के बदले रिएक्शन में जुलुस से भी पत्थर चलता है। पुलिस ने एकतरफ़ा कार्रवाई करते हुए आंसू गैस भी मुसलमानों पर चलाए और गिरफ्तार भी उन्हें ही किया।

एक मुस्लिम युवक जो 11 बजे FIR करने जाता है उसकी FIR रात 1 बजे ली जाती है। इसमें सभी आरोपी मुसलमान बनाए जाते है। एक युवक जो जेल से छूटकर 26 सितम्बर को आया है उसका नाम भी 19 सितम्बर की FIR में डाला हुआ है।

पुलिस की मुसलमानों के साथ की गई इस नाइंसाफ़ी की वजह से दोंडाईचा में मुसलमानों के खिलाफ पुरे शहर में ज़हर उगला जा रहा है – मुसलमानों से खरीद – फरोख्त करने मना किया जा रहा है, मुस्लिम मज़दूरों को काम से निकाला जा रहा है।

अबू आसिम आजमी के मुताबिक, दोंडाईचा पुलिस निरीक्षक से मुलाकात के दौरान ये तय किया गया कि हिंसा का वीडियो देख कर जो लोग हिंसा में शामिल नहीं थे उन बेकसूर लोगों को छोड़ा जाएगा और नई गिरफ्तारियों पर रोक लगाई जाएगी, साथ ही जिनकी वजह से हिंसा की शुरुआत हुई उनपर भी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।

इस घटना के ज़िम्मेदार और पुलिस प्रशासन के रवैये की शिकायत अल्पसंख्यक कमीशन को दी जाएगी और आगे की कार्रवाई की मांग की जाएगी।

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