आंध्र प्रदेश के शहर कडपा में जमीयत उलमा-ए-हिंद के तत्वाधान में आयोजित भारतीय संविधान सुरक्षा एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में लाखों लोगों को संबोधित करते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि जो चीज हमारी है उसकी रखवाली कोई और करे क्या यह उचित है?
इसके साथ ही उन्होंने इस बिल में मौजूद सभी खामियों के बारे में बताया और कहा कि आज यहां से उठी आवाज सत्ता से टकराएगी और बता देगी कि वक्फ संशोधन बिल को मुसलमान किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि यह हमारा धार्मिक मामला है और हम इसमें किसी और का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकते।
मौलाना मदनी ने कहा कि हमने संयुक्त संसदीय समिति के साथ बैठक में सभी सदस्यों की उपस्थिति में एक ही बात कही है कि इस बिल में एक या दो नहीं अनगिनत खामियां हैं, इसलिए हम इसको खारिज करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद कोई राजनीतिक दल नहीं बल्कि पूरी तरह से धार्मिक संगठन है। भारत की आजादी के बाद से हमें राजनीती में कोई रुचि नहीं रही है कि कौन सत्ता में है, ओर कौन सत्ता में आता है, कौन जाता है, कौन चुनाव लड़ता है, कौन सफल होता है, किसे असफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि हम देश से प्यार करते हैं, यह देश हमारा है, हमारे पूर्वज हजारों वर्षों से यहां रहते हैं, हम इस देश में शांति और भाईचारे के साथ और एक-दूसरे के प्रति प्रेम और स्नेह के साथ रहना पसंद करते हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि जब तक देश में अमन का माहौल रहेगा प्रेम और स्नेह बना रहेगा, देश चलता रहेगा और आगे बढ़ता रहेगा, लेकिन अगर इस में आपसी प्रेम और स्नेह को आग लगा दी गई, तो यह देश तबाह और नष्ट हो जाएगा, उन्होंने कहा कि मुसलमान अपने देश के प्रति वफादार हैं, और शान्ति स्थापित रखना चाहते हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि आजादी से पहले या बाद में कडप्पा में जमीयत उलमा-ए-हिंद की कभी कोई सम्मेलन नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि हमने दिल्ली में आयोजित भारतीय संविधान सुरक्षा सम्मेलन में घोषणा की थी कि कडप्पा के सम्मेलन में पाॅंच लाख लोग जुटेंगे. हमें यह देखकर बेहद खुशी हुई कि अल्लाह के फजल से अल्लाह ने हमारी बात को सच कर दिखाया, आज के इस सम्मेलन में पांच लाख से ज्यादा लोग मौजूद हैं, यह विशाल और विस्तृत मैदान छोटा पड़ गया है, इतनी बड़ी संख्या में आपका यहां जमा होना दिखाता है कि आपको इस बात की चिंता है कि इस समय देश में क्या हो रहा है?
उन्होने कहा कि हमारा मकसद भीड़ जुटाना नहीं है, बल्कि इस प्रदेश की सरकार को यह दिखाना है कि जहां आप शासन कर रहे हैं, वहां के मुसलमान क्या चाहते हैं? मौलाना मदनी ने कहा कि केंद्र की सरकार वक्फ संशोधन विधेयक ला रही है और अब समान नागरिक संहिता लाने कि अवाज़ लगा कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने पैरों पर नहीं, बल्कि दो बैसाखियों पर खड़ी हैं, जिनमें से एक बैसाखि नीतीश कुमार ने दे रखखी है और दूसरी चंद्र बाबू नायडू ने दे रखखी है।
आज के इस ऐतिहासिक सम्मेलन के माध्यम से हम इन दोनों पार्टियों को यह समझाना चाहते हैं कि इस समय सबसे बड़ा खतरा देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान को है, इसलिए इसकी सुरक्षा हम सभी की जिम्मेदारी है, क्योंकि संविधान बचेगा तो ही देश बचेगा और देश बचेगा तो हम सब बचेंगे. उन्होंने कहा कि संविधान लागू होने के 75 साल पूरे होने पर संसद के दोनों सदनों में इस पर बहस हो रही है, जाहिर तौर पर यह एक अच्छा संकेत है, लेकिन मुख्य सवाल यह है कि क्या संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों का ईमानदारी से पालन किया जा रहा है? बिल्कुल नहीं, दुख यह है कि संविधान के कसीदे तो पढ़े जाते हैं और उसके नाम पर शपथ भी खाई जाती है, लेकिन संविधान के कसीदे पढ़ने वाले इसे अपने चरित्र और कर्म में नहीं उतारते। इसलिए संविधान के उल्लंघन का दुखद दृश्य हम खुली आँखों से देखते हैं।
उन्होंने कहा कि अगर संविधान के सिद्धांतों का पालन किया जाता तो आज हमें भारत के संविधान की रक्षा के लिए सम्मेलन करने की जरूरत नहीं पड़ती । देश का धर्मनिरपेक्ष संविधान जमीयत उलमा-ए-हिंद के नेताओं के संघर्ष का परिणाम है जिन्होंने देश को गुलामी की विभीषिका से मुक्त कराने के लिए कदम-कदम पर बलिदान दिया, मौलाना मदनी ने उन सभी समस्याओं पर प्रकाश डाला, जिनका सामना आज देश कर रहा है वक्फ संशोधन विधेयक की कमियों को बताया।
ऐसा कहा जाता है कि हम वक्फ की सुरक्षा के लिए यह विधेयक ला रहे हैं, लेकिन इसमें किए गए खतरनाक संशोधन यह साबित करते हैं कि यह विधेयक वक्फ को हड़पने और मुसलमानों को उनकी बहुमूल्य संपत्ति से वंचित करने के लिए लाया जा रहा है, सरकार से कहा कि अगर संविधान बचाना है तो इस बिल को खारिज कर देना चाहिए। यह बात दुनिया में सुनी जा रही है, इसलिए हम सरकार को यह भी बताना चाहते हैं कि मुसलमान किसी भी कीमत पर वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन नहीं कर सकते क्योंकि यह हमारा धार्मिक मामला है।
मौलाना मदनी ने कहा कि हम इस देश में जिंदा हैं, यहीं रहेंगे और यहीं की मिट्टी में दफन हो जाएंगे, हमारा धर्म कोई ऐसा धर्म नहीं है जो मिट जाएगा। इतिहास बताता है कि इस्लाम को मिटाने का ऐलान करने वाले मिट गए और इस्लाम बचा रहा और कयामत तक जिंदा रहेगा।
जमीयत उलमा-ए-आंध्र प्रदेश की जानिब से 5 लाख हस्ताक्षरों का ड्राफ्ट मौलाना मदनी को पेश किया गया जो जल्द ही मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को भी पेश किया जाएगा, उन्होंने कहा कि आजकी यह आवाज आंध्र प्रदेश के जिले में ही नहीं पूरी दुनिया में पहुंचेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस सम्मेलन में कडपा में मसलक की दीवार को भी तोड़ दिया, सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने के लिए यहां के मुसलमानों ने कड़ी मेहनत की और मसलक से ऊपर उठने की कोशिश की, यहां तक कि सभी मसलकों के लोगों ने बाहर से आने वाले लोगों के लिए न केवल अपनी मस्जिदों के दरवाजे खोले, बल्कि उनके खाने-पीने की भी व्यवस्था की।
मौलाना मदनी ने कडपा के मुसलमानों के जज्बे की तारीफ करते हुए कहा कि आज के हालात में इसी तरह की एकता की जरूरत है और ऐसा करके कडपा के मुसलमानों ने पूरे देश के मुसलमानों को एक नई राह दिखाई है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मुफ्ती मासूम साकिब ने सम्मेलन के आयोजन का संचालन बखूबी निभाया।
उन्होंने भी इस बैठक को आयोजित करने और ऐतिहासिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसके अलावा आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने भी जलसे से संबंधित करते हुए धर्मनिरपेक्ष संवैधानिकता में मुसलमानों की भूमिका पर प्रकाश डाला। बैठक में जमीयत उलेमा तमिलनाडु के अध्यक्ष मुफ्ती सबील, जमीयत उलेमा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अध्यक्ष मुफ्ती गयासुद्दीन रहमानी, जमीयत उलमा कर्नाटक के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल रहीम रशीदी और अन्य सामाजिक हस्तियां उपस्थित थीं।