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दिल्ली: फिलिस्तीन के समर्थन में 22 अगस्त को होगा बड़ा प्रदर्शन

भारत के प्रमुख धार्मिक, सामुदायिक और सामाजिक रहनुमाओं ने फिलिस्तीनी अवाम जो लगातार उत्पीड़न, नरसंहार और मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना कर रहे हैं, के साथ समन्वय प्रदर्शित करने के लिए 22 अगस्त 2025 (शुक्रवार) को अपराह्न 3:00 बजे जंतर-मंतर पर एक सामूहिक एवं शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील जारी की।

संयुक्त अपील में हाल के दिनों में बढ़ते इजरायली आक्रमण पर प्रकाश डाला गया है, जिसके परिणामस्वरूप हजारों निर्दोष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को शहीद और ज़ख़्मी कर रहे हैं।

इस गंभीर मानवीय त्रासदी के दृष्टिगत रहनुमाओं ने इस बात पर जोर दिया कि विरोध को मजबूती के साथ उठाना और वैश्विक समुदाय की अंतरात्मा को जगाना हमारा नैतिक और आध्यात्मिक दोनों ही कर्तव्य है।

इस उद्देश्य के तहत 22 अगस्त 2025 (शुक्रवार) को दोपहर 3:00 बजे जंतर-मंतर, नई दिल्ली पर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।

मुस्लिम रहनुमाओं ने सभी वर्गों के लोगों से प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह किया है। इसमें विभिन्न विचारधाराओं, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के लीडर्स और मानवाधिकार अधिवक्ता शामिल होंगे।

अपील में इस बात पर जोर दिया गया है कि विरोध प्रदर्शन में भागीदारी न केवल फिलिस्तीनियों के साथ भारत की एकजुटता को प्रदर्शित करेगी, बल्कि वैश्विक समुदाय को शांति, न्याय, एकता और भाईचारे का एक शक्तिशाली संदेश भी देगी।

संयुक्त अपील पर निम्नलिखित रहनुमाओं ने हस्ताक्षर किए हैं:

‎मौलाना अरशद मदनी, अध्यक्ष, जमीयत उलमा-ए-हिंद

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, अध्यक्ष, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, अमीर, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद

मौलाना अली असगर इमाम मेहदी, अमीर, मरकज़ी जमीयत अहल-ए-हदीस

मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, महासचिव, जमीयत उलमा-ए-हिंद

मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी, अमीर-ए-शरीयत, इमारत शरिया (बिहार, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल)‎

मुफ़्ती मुकर्रम अहमद, इमाम, शाही जामा मस्जिद, फ़तेहपुरी

मौलाना ओबैदुल्लाह खान आज़मी, पूर्व संसद सदस्य (राज्यसभा)।

मलिक मोतसिम खान, उपाध्यक्ष, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद

डॉ. मोहम्मद मंज़ूर आलम, महासचिव, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल‎

डॉ. जफरुल इस्लाम खान, पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग

अब्दुल हफीज, अध्यक्ष, एसआईओ ऑफ इंडिया

मौलाना मोहसिन तकवी, प्रमुख शिया विद्वान और उपदेशक

प्रो. अख्तरुल वासे, पूर्व कुलपति‎

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