महाराष्ट्र के जालना ज़िले में सोमवार देर रात गौरक्षकों के एक समूह द्वारा मवेशी परिवहन कर रहे सात लोगों पर हमला किए जाने का मामला सामने आया है। घायल हुए लोगों में 62 वर्षीय व्यक्ति समेत कुल सात मुस्लिम पुरुष शामिल हैं।
पुलिस ने इस मामले में 10 से 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। हालांकि, पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने पहले उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार किया और उल्टा उन्हें ही हिरासत में ले लिया।
पुलिस के मुताबिक, शिकायतकर्ता निसार पटेल (62) ने बताया कि वे व्यापारी पदम राजपूत के लिए काम करते हैं, जिन्होंने औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) ज़िले के वडोद बाजार से 21 बैल खरीदे थे। ये मवेशी कृषि कार्यों के लिए लातूर ज़िले के नालेगांव ले जाए जा रहे थे।
दो गाड़ियों में मवेशियों को लेकर जब वे जालना तहसील के लोंडेवाड़ी गाँव पहुँचे, तो अज्ञात लोगों के एक समूह ने रास्ता रोक लिया और आरोप लगाया कि जानवरों को वध के लिए ले जाया जा रहा है। पीड़ितों ने वैध दस्तावेज़ दिखाए, फिर भी हमलावरों ने लाठियों और लकड़ियों से हमला कर दिया।
हमले के बाद पुलिस मौके पर पहुँची और घायलों को अस्पताल पहुँचाया। मवेशियों को पुलिस ने कब्जे में लेकर रामनगर स्थित एक गौशाला में भेज दिया। लेकिन शिकायत के अनुसार, वही हमलावर समूह गौशाला तक उनका पीछा करता रहा और पुलिस की मौजूदगी में भी उन पर हमला किया।
सामाजिक कार्यकर्ता रीमा काले-खरात ने बताया कि पुलिस ने शुरुआत में हमलावरों के बजाय पीड़ितों को ही हिरासत में लिया और उनके खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर दिया। उनके हस्तक्षेप के बाद ही पुलिस ने अज्ञात हमलावरों पर केस दर्ज किया।
घायल व्यक्तियों की पहचान निसार पटेल, आसिफ शेख, रियाज कुरैशी, साजिद पाशा, आसिफ सादिक, जावेद कुरैशी और सैय्यद परवेज के रूप में हुई है। सभी के सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आई हैं।
निसार पटेल ने आरोप लगाया, “हमलावर एक स्कॉर्पियो में आए थे, हमने उन्हें देखा भी था, फिर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला क्यों दर्ज किया? हमें 12 घंटे तक हिरासत में रखा गया और बार-बार आग्रह के बाद हमारी शिकायत दर्ज की गई।”
जालना के एसडीपीओ अनंत कुलकर्णी ने पुलिस की मौजूदगी में हमले की बात से इनकार किया और कहा कि “दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ था, जांच जारी है।”
इस बीच, फेडरेशन ऑफ महाराष्ट्र मुस्लिम्स (FMM) ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि अगस्त 2025 में राज्य सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि केवल पुलिस ही मवेशी परिवहन से जुड़े मामलों की जांच कर सकती है।
एफएमएम के संयोजक सफीर अहमद ने कहा, “सरकार के आदेश के बावजूद गौरक्षकों द्वारा ऐसे हमले लगातार जारी हैं। यह कानून और प्रशासन दोनों की नाकामी को दर्शाता है।”