देशभर में “आई लव मुहम्मद” अभियान के बाद मुसलमानों पर पुलिस और प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) द्वारा जारी एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि पूरे भारत में 4,505 मुसलमानों पर मामले दर्ज किए गए और 7 अक्टूबर तक कम से कम 265 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें केवल बरेली से 89 गिरफ्तारी शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौलाना तौकीर रज़ा खान के नेतृत्व में आयोजित “आई लव मुहम्मद” शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद पुलिस ने असंतुलित और लक्षित कार्रवाई की।
वकीलों और नागरिक समाज के सदस्यों की टीम द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के लाठीचार्ज, सामूहिक गिरफ्तारियां और संपत्ति जब्ती की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था और इसमें न तो हिंसा हुई, न तोड़फोड़, न ही भड़काऊ नारेबाजी, फिर भी पुलिस ने अचानक बल प्रयोग किया और प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
इसके बाद बरेली समेत कई मुस्लिम इलाकों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई और इंटरनेट सेवाएं 48 घंटे के लिए बंद कर दी गईं। इससे न सिर्फ भय का माहौल बना बल्कि स्थानीय व्यापार और दैनिक जीवन पर भी असर पड़ा।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 29 सितंबर को प्रशासन ने मजार पहलवान मार्केट की 32 दुकानों को सील कर दिया — जबकि यह संपत्ति एक पंजीकृत वक्फ (संख्या 383) के अंतर्गत आती है। वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा जारी स्थगन आदेश के बावजूद कार्रवाई की गई, जिससे दुकानदारों ने इसे “दंडात्मक कदम” बताया।
वकीलों ने आरोप लगाया कि गिरफ्तारियों में नाबालिग भी शामिल हैं, और परिवारों को उनके रिश्तेदारों के ठिकाने की जानकारी तक नहीं दी गई। एफआईआर की प्रतियां और गिरफ्तारी ज्ञापन भी उपलब्ध नहीं कराए गए।
एपीसीआर की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस और प्रशासन की यह कार्रवाई मुसलमानों के खिलाफ सामूहिक दंड और संस्थागत पूर्वाग्रह का पैटर्न दिखाती है। इसमें धार्मिक अभिव्यक्ति के दमन, मनमानी गिरफ्तारी और सेंसरशिप के साक्ष्य दर्ज किए गए हैं।
रिपोर्ट में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) से हस्तक्षेप की मांग की गई है ताकि पुलिस कार्रवाई, गिरफ्तारी और संपत्ति जब्ती की न्यायिक जांच कराई जा सके। साथ ही, रिपोर्ट में अत्यधिक बल प्रयोग और अवैध गिरफ्तारी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
एपीसीआर ने नागरिक समाज से भी अपील की है कि वे मुस्लिम धार्मिक अभिव्यक्ति के अपराधीकरण का विरोध करें और दंडात्मक ध्वस्तीकरण तथा सीलिंग अभियान के लिए स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह ठहराएं।
गौरतलब है कि “आई लव मुहम्मद” अभियान मौलाना तौकीर रज़ा खान के नेतृत्व में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य पैग़ंबर मुहम्मद ﷺ के प्रति प्रेम और सम्मान प्रकट करना था। परंतु इसके बाद उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रशासनिक दमन की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं।

