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लोकतंत्र की जीत हो, दलगत राजनीति की नहीं: केरल हाईकोर्ट ने कांग्रेस उम्मीदवार का मतदाता सूची से नाम हटाने की निंदा की

तिरुवनंतपुरम नगर निगम के मुत्तदा डिवीजन से 24 वर्षीय कांग्रेस उम्मीदवार वैष्णा एस.एल. का नाम मतदाता सूची से हटाए जाने के मामले में केरल उच्च न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को बुधवार तक निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

अदालत ने कहा कि किसी उम्मीदवार को “तकनीकी आधार पर चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता” और लोकतंत्र की जीत सुनिश्चित होनी चाहिए।

वैष्णा, जो एक आईटी पेशेवर हैं, को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए उम्मीदवार बनाया है। उनका नाम प्रारंभिक और अंतिम दोनों मतदाता सूचियों में मौजूद था, लेकिन बाद में उन्हें नोटिस मिला कि उनका और उनके माता-पिता का नाम सूची से हटा दिया गया है। यह कार्रवाई सीपीआई शाखा सचिव धनेश कुमार की इस आपत्ति पर की गई कि वैष्णा उस वार्ड की सामान्य निवासी नहीं हैं।

सुनवाई के दौरान वैष्णा ने आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट सहित कई दस्तावेज निवास प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किए। वहीं, आपत्ति दर्ज कराने वाले नेता न तो कोई दस्तावेज पेश कर पाए और न ही सुनवाई में उपस्थित हुए। इसके बावजूद निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ने नाम हटा दिया, जिसके बाद वैष्णा को जिला कलेक्टर के पास अपील करनी पड़ी।

चूंकि 21 नवंबर को मतदाता सूची फ्रीज होनी है, वैष्णा ने राजनीतिक दबाव की आशंका जताते हुए हाई कोर्ट का रुख किया। न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने निर्देश दिया कि एसईसी सभी पक्षों को सुनकर 19 नवंबर तक फैसला सुनाए।

इस बीच, कन्नूर में एक बूथ लेवल अधिकारी की कथित तौर पर एसआईआर से जुड़े दबाव के कारण आत्महत्या के बाद पूरे केरल में चुनाव आयोग के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया है। बीएलओ ने सोमवार को अपने कर्तव्यों के बहिष्कार की घोषणा भी की।

वहीं, आईयूएमएल और केपीसीसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केरल में चल रहे विशेष अंतरिम मतदाता सूची संशोधन (एसआईआर) पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उनका तर्क है कि चुनाव आयोग स्थानीय निकाय चुनावों के साथ यह प्रक्रिया समानांतर रूप से नहीं चला सकता।

केरल सरकार भी पहले ही हाई कोर्ट में एसआईआर स्थगित करने की मांग कर चुकी है, लेकिन कोर्ट ने इसे सुप्रीम कोर्ट के पास भेजने का सुझाव दिया था। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी एसआईआर को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान बताया है और विधानसभा ने सर्वसम्मति से इसे लेकर चिंता जताते हुए प्रस्ताव पारित किया था।

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