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SIA ने की कश्मीर टाइम्स के दफ्तर पर छापेमारी, संपादक बोले- यह हमें चुप कराने की कोशिश और प्रेस की आज़ादी पर हमला है

कश्मीर टाइम्स के संपादकों ने गुरुवार को राज्य जांच एजेंसी (SIA) द्वारा अखबार के कार्यालय पर की गई छापेमारी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि अखबार पर “राज्य-विरोधी गतिविधियों” में शामिल होने का आरोप पूरी तरह निराधार है और इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्र पत्रकारिता को डराना और चुप कराना है।

अखबार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के सबसे पुराने और विश्वसनीय अखबारों में से एक को निशाना बनाने के लिए एक “सुनियोजित अभियान” का हिस्सा है।

बयान में स्पष्ट कहा गया है, “सरकार की आलोचना करना राज्य के प्रति शत्रुता नहीं होती। सवाल पूछने वाला प्रेस देश को मज़बूत बनाता है, कमजोर नहीं।”

अनुराधा भसीन और अखबार के खिलाफ मामला दर्ज
सूत्रों के अनुसार, SIA ने कश्मीर टाइम्स, उसकी संपादक और वरिष्ठ पत्रकार अनुराधा भसीन के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

आरोप है कि उनके कथित संबंध और गतिविधियाँ भारत की संप्रभुता के लिए खतरा हैं। हालांकि संपादकों ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है।

पत्रकारों और कार्यकर्ताओं ने जताई नाराज़गी
देशभर के पत्रकारों और कार्यकर्ताओं ने इस छापेमारी की कड़ी आलोचना की है। द हिंदू की वरिष्ठ पत्रकार सुहासिनी हैदर ने कहा, “लोकतंत्र अंधेरे में मर जाता है… और राजनीतिक रूप से प्रेरित ऐसी कार्रवाइयों के खिलाफ चुप्पी भी उतनी ही खतरनाक है।”

1954 से हाशिये की आवाज़ उठाने वाला अखबार
वेद भसीन द्वारा 1954 में स्थापित कश्मीर टाइम्स ने लंबे समय से क्षेत्र के राजनीतिक हालात, शासन की विफलताओं और हाशिए पर रह रहे समुदायों की समस्याओं को लगातार उठाया है। अखबार ने कहा कि वह इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उसने मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद “सत्ता के सामने सच बोलना” बंद नहीं किया।

अखबार ने कहा, “हमारे खिलाफ लगाए गए आरोप डराने, हमारी छवि खराब करने और हमें चुप कराने की कोशिश हैं। लेकिन हम चुप नहीं रहेंगे।”

प्रिंट संस्करण बंद, डिजिटल माध्यम से जारी है प्रकाशन
लगातार दबाव और निशाना बनाए जाने के चलते वर्ष 2021–22 में अखबार को अपना प्रिंट संस्करण बंद करना पड़ा था। हालांकि, कश्मीर टाइम्स ने स्पष्ट किया कि वह डिजिटल माध्यम से प्रकाशन जारी रखे हुए है और उसकी सभी रिपोर्टें सार्वजनिक रूप से वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

अखबार ने सरकार से “उत्पीड़न” बंद करने, मुकदमे वापस लेने और प्रेस की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का सम्मान करने की मांग की है। यह बयान संपादक प्रबोध जामवाल और अनुराधा भसीन द्वारा जारी किया गया।

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