अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में शुक्रवार की नमाज़ से पहले फीस वृद्धि के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर प्रॉक्टोरियल टीम और यूपी पुलिस ने कथित रूप से बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की है।
जानकारी के मुताबिक, यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था, लेकिन प्रशासन की कार्रवाई से न केवल नमाज़ रुक गई बल्कि कई छात्रों को हिरासत में भी ले लिया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एएमयू के मुख्य प्रॉक्टर प्रो. मोहम्मद वसीम के नेतृत्व में प्रॉक्टोरियल टीम यूपी पुलिस के साथ कैंपस में पहुंची. पुलिसकर्मी आंसू गैस के गोले, रबर बुलेट और भारी दंगा नियंत्रण उपकरणों से लैस थे। छात्रों का आरोप है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य शुक्रवार की नमाज़ को रोकना था — जो विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार हुआ है।

कार्रवाई के दौरान दो एएमयू छात्र और एक इमाम (जो स्वयं भी छात्र हैं) को जबरन गिरफ्तार कर लिया गया, हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस दौरान पुलिस और प्रॉक्टोरियल टीम ने छात्रों के साथ धक्का-मुक्की की, नमाज़ के जानमाज़ (मुसल्ला) पैरों तले रौंदे और कुछ को घसीटते हुए ले जाया गया।
छात्र समुदाय ने इस घटना को धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक विरासत और एएमयू की ऐतिहासिक परंपराओं पर सीधा हमला बताया है। प्रेस रिलीज़ में मुख्य प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम पर गंभीर आरोप लगाते हुए तत्काल बर्खास्तगी की मांग की गई है। साथ ही, विश्वभर के एएमयू एलुमनाई संगठनों से इस घटना की निंदा करने की अपील की गई है।
छात्र नेताओं ने कहा, “हम डर, झूठे प्रचार या पुलिस की धमकियों के आगे नहीं झुकेंगे। हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक न्याय नहीं मिलता, हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं और एएमयू को सर सैयद अहमद खान के उस विज़न पर बहाल नहीं किया जाता जिसमें न्याय, गरिमा और सबके लिए समान अवसर हो।