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असम बेदखली हिंसा: पुलिस गोलीबारी में मारे गए 19 वर्षीय मुस्लिम युवक की मां ने स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की

असम के गोलपाड़ा जिले में बेदखली के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में मारे गए 19 वर्षीय सकोवर अली की मां, नचिरन बीबी ने गौहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने घटना को “बिना उकसावे, अत्यधिक और असंगत हथियारों के इस्तेमाल” का मामला बताया।

नचिरन बीबी का कहना है कि उन्हें पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पोस्टमॉर्टम के बाद पुलिस ने शव को गोलपाड़ा के किस्मतपुर कब्रिस्तान में दफनाने के लिए मजबूर किया, जबकि परिवार चाहता था कि अंतिम संस्कार क्रिश्नाई के खरिधारा कब्रिस्तान में हो।

पत्र में कहा गया कि परिवार पिछले सात दशकों से आशुडुबी गांव में रह रहा था, लेकिन वन विभाग ने बेदखली का नोटिस जारी किया। 10 जुलाई को घर की छत तोड़ी गई और 12 जुलाई को पुलिस ने पूरे घर को ध्वस्त कर दिया। 17 जुलाई को वन और पुलिस विभाग ने गांव को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क को जेसीबी से काटने की कोशिश की, जिससे स्थानीय लोग विरोध में जुट गए।

नचिरन बीबी के अनुसार, पुलिस ने लाठीचार्ज के बाद गोलीबारी की, जिसमें किराना दुकानदार सकोवर अली की गर्दन पर गोली लगी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। दो वयस्क और एक 12 वर्षीय बच्चा गंभीर रूप से घायल हुए।

यह घटना ऐसे समय में हुई जब असम सरकार ने जून-जुलाई 2025 में चार जिलों — गोलपाड़ा, धुबरी, नलबाड़ी और लखीमपुर — में बेदखली अभियान चलाकर 3,500 से अधिक परिवारों को उजाड़ा। इन कार्रवाइयों को बंगाली मूल के मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के आरोप में व्यापक आलोचना झेलनी पड़ी है।

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