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2016-19 के बीच 5922 लोगों पर UAPA दर्ज़ हुआ जिनमें से 97.8 फ़ीसदी मामलो में आरोप तय नहीं हुए, राष्ट्रीय उलमा काउंसिल ने गृह मंत्री से सवाल किए

हिंदुस्तान में मुस्लिम समुदाय से संबंधित कोई भी व्यक्ति अगर छोटा सा भी गुनाह कर दे तो उस पर तुरंत यूएपीए जैसा कड़ा कानून लगा दिया जाता हैं, लेकिन जब उसके जुर्म को साबित करना होता हैं तो पुलिस ज्यादातर मामलों में जुर्म साबित नहीं कर पाती हैं।

ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियां रोकथाम (यूएपीए) के आरोप में 2016 से लेकर 2019 तक 5922 लोगों पर यूएपीए दर्ज़ हुआ था. जिनमें से 5800 लोगों पर जांच एजेंसियां आरोप साबित नहीं कर पाई हैं।

आंकड़ों के मुताबिक़ जांच एजेंसियां 97.8 फ़ीसदी मामलों में आरोप साबित नहीं कर पाई हैं. यानी 2 फ़ीसदी के क़रीब लोगों पर ही UAPA के तहत आरोप सिद्ध हो पाया था।

यूएपीए कानून को लेकर राष्ट्रीय उलमा काउंसिल (RUC) ने गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किए हैं।

RUC का कहना है कि “2016-19 के बीच 5922 लोगों पर UAPA दर्ज हुआ है. जिसमे 5800 लोगों पर सरकारी एजेंसियां आरोप साबित नही कर पाई है. उसके बावजूद अभी भी लगातार लोगों पर UAPA लगा जेल में डाला जा रहा है।

राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के अनुसार “पार्लियामेंट में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि हम UAPA का दुरूपयोग नही करेंगे. क्या ये दुरुपयोग नही?”

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