आज ही के दिन 16 साल पहले 19 सितंबर 2008 को मुस्लिम युवाओं को मनगढ़ंत आतंकवाद के नाम पर तथाकथित सेकुलर कांग्रेस सरकार ने फर्जी एनकाउंटर में मार दिया था।
एक पूरे इलाके आजमगढ़ को आतंकवाद का प्राय घोषित करने की कोशिश की थी! क्या क्या नाम दिये थे मुझे बताने की जरूरत नहीं है।
वह तो आजमगढ़ के लोगों की हिम्मत को सलाम जिन्होंने कुर्बानीयां दे कर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के उस मुस्लिम विरोधी एजेंडे को मिट्टी में मिला दिया था।
सोचिए उस तत्कालीन सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने की वजह से आज भी आजमगढ़ के 700 से ज्यादा लोग पासपोर्ट बनवाने तक से मेहरूम हैं।
अब यही कांग्रेस लोकतंत्र और संविधान को बचाने की बातें करती है। कांग्रेस एक बार ठहर कर सोचे कि उसके दामन पर मुस्लिम विरोधी नफरत के इतने छींटे हैं कि उसको साफ करने में भी बरसों लगेंगे।
राहुल गांधी मुहब्बत की दुकान में सबसे पहले ये क्लियर करना होगा कि कांग्रेस शासनकाल मुसलमानों के साथ हुए अन्याय और प्रताड़ना पर कांग्रेस खुले मंच से कब माफ़ी मांगेगी!
जब बटला हाउस में 2008 में फर्ज़ी एनकाउंटर हुआ था तो इसी कांग्रेस के चहेते और तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम से मिलने जब आज़मगढ़ का डेलीगेशन मिलने गया था तो मुस्लिम विरोधी चरित्र वाले उस व्यक्ति के शब्द क्या थे उसको हर मुसलमान को बार बार सुनना चाहिए।
“एजेंसियों का मनोबल गिरेगा अगर हम बटला हाउस एनकाउंटर की जांच करवाएंगे”
जब इस अन्याय के 11 साल बाद पी चिदंबरम की गिरफ़्तारी हुयी थी तो वो बंदा बोल रहा था कि “जब तक दोषसिद्ध नहीं हो जाता तब तक किसी की गिरफ़्तारी नहिंन होनी चाहिए”
मतलब दोगलेपन की इंतेहाँ देखिये खुद हजारों मुसलमान नौजवानों की सालों साल की जिंदगी फर्जी केस में बिना दोष सिद्धि के बर्बाद कर दिए मगर खुद पर पड़ी तो ज्ञान पेलने लगे।
(यह लेखक के अपने विचार हैं लेखक अंसार इमरान रिसर्चर है)