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असम में बंगाली मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है: फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट

सिविल सोसायटी संगठनों ने आरोप लगाया है कि असम की बीजेपी सरकार मनमाने ढंग से बंगाली मुसलमानों को “विदेशी” घोषित कर बेघर कर रही है। मंगलवार को एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) और कारवां-ए-मोहब्बत द्वारा आयोजित एक आपात सार्वजनिक ट्रिब्यूनल में इस मुद्दे पर तथ्य-जांच रिपोर्ट जारी की गई।

कार्यक्रम में जस्टिस इक़बाल अंसारी, गोपाल के पिल्लई, जवाहर सिरकार, वजाहत हबीबुल्लाह, सैयदा हमीद, हर्ष मंदर, प्रशांत भूषण, तैसन हुसैन, इम्तियाज़ हुसैन, प्रो. अपूर्वानंद और फव्वाज़ शाहीन सहित कई कानूनी विशेषज्ञों, नौकरशाहों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU) के अध्यक्ष टायसन हुसैन ने कहा कि मुसलमानों को “विदेशी” बताकर मनमाने ढंग से हिरासत में लिया जा रहा है और भूमिहीन परिवारों को बेदखल किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ऐसा तंत्र बनाया है जो पूरी तरह संविधान के खिलाफ है।

रिपोर्ट में कहा गया कि 90% लोग, जिन्हें विदेशी बताया जा रहा है, असल में भारतीय नागरिक हैं। कई महिलाएं और बच्चे भी इस कार्रवाई का शिकार बने हैं। हुसैन के अनुसार लोगों को “नो-मैन्स लैंड” में धकेला जा रहा है और उनके घर तोड़े जा रहे हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत में ही दिल्ली के संविधान क्लब में हिंदू सेना के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। “गोली मारो…” और “जय श्रीराम” के नारे लगाए गए। पैनलिस्टों से बदसलूकी की गई और मीडिया ने भी समाजसेवी सैयदा हमीद को परेशान किया। बाद में हस्तक्षेप के बाद माहौल शांत हुआ और कार्यक्रम जारी रहा।

फव्वाज़ शाहीन ने बताया कि कई परिवारों को 1944 तक के भूमि दस्तावेज दिखाने के बावजूद उजाड़ दिया गया। न्यायालय में केस लंबित रहने के बावजूद घर गिराए गए। हर्ष मंदर ने असम को “फासीवाद का नंगा रूप” बताया और कहा कि छोटे-छोटे दस्तावेजी त्रुटियों पर लोगों को विदेशी करार देकर डिटेंशन सेंटर में डाला जा रहा है।

प्रशांत भूषण ने कहा कि यह कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के शासन के खिलाफ है। ज़मीनें जबरन छीनी जा रही हैं और कॉर्पोरेट कंपनियों जैसे अडानी और पतंजलि को दी जा रही हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि गोलपाड़ा जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है। पिछले दो महीनों में हज़ारों परिवारों के घर तोड़े गए। 19 वर्षीय एक युवक की पुलिस कार्रवाई में मौत भी हुई। रिपोर्ट ने साफ कहा – सभी बेदखल किए गए परिवार मुसलमान हैं।

पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्लाह ने कहा कि यह संविधानिक संकट है और तुरंत कार्रवाई की जरूरत है। वहीं, जस्टिस इक़बाल अंसारी ने कहा, “एक मुख्यमंत्री संविधान को टुकड़े-टुकड़े कर रहा है। अगर इसे नहीं रोका गया तो यह पूरे देश में फैल सकता है।

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