कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान लोगों से अपील की कि वे “सनातनियों” से दूर रहें और आरएसएस तथा संघ परिवार से सावधान रहें। उन्होंने आरोप लगाया कि ये संगठन डॉ. भीमराव अंबेडकर और भारतीय संविधान के विरोधी हैं।
मुख्यमंत्री मैसूर विश्वविद्यालय के रजत जयंती समारोह और ज्ञान दर्शन भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “अपनी संगति सही रखें। उन लोगों के साथ रहें जो समाज के हित में काम कर रहे हैं, न कि उन लोगों के साथ जो सामाजिक परिवर्तन का विरोध करते हैं या खुद को ‘सनातनी’ कहते हैं।”
सिद्धारमैया ने हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर एक व्यक्ति द्वारा जूता फेंकने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा, “यह घटना बताती है कि समाज में अब भी रूढ़िवादी और प्रतिगामी सोच मौजूद है। इस कृत्य की निंदा केवल दलितों को नहीं, बल्कि पूरे समाज को करनी चाहिए। तभी हम कह पाएंगे कि बदलाव सच में आ रहा है।”
उन्होंने आरएसएस और संघ परिवार पर यह आरोप लगाया कि वे अंबेडकर के विचारों और इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। सिद्धारमैया ने कहा, “वे यह झूठ फैलाते हैं कि कांग्रेस ने अंबेडकर को चुनाव में हराया था, जबकि अंबेडकर ने खुद लिखा था कि उन्हें ‘सावरकर और डांगे’ ने हराया। ऐसे झूठ को उजागर करना ज़रूरी है।”
मुख्यमंत्री ने डॉ. अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए कहा, “अंबेडकर ने समाज की जड़ों को समझा और ज्ञान के बल पर समाज को बदलने का काम किया। उन्होंने दुनिया के कई संविधानों का अध्ययन कर भारत के लिए सबसे उपयुक्त संविधान तैयार किया।”
सिद्धारमैया ने कहा कि वे बुद्ध, बसव और अंबेडकर की शिक्षाओं में विश्वास रखते हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे “तर्क और वैज्ञानिक सोच” को अपनाएँ और अंधविश्वासों से दूर रहें।
उन्होंने यह भी बताया कि अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की स्थापना छात्रों को अंबेडकर के विचारों और मूल्यों के अनुरूप आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के लिए की गई थी।
मैसूर विश्वविद्यालय में अंबेडकर अध्ययन केंद्र के 25 वर्ष पूरे होने पर उन्होंने कहा, “असमान अवसरों ने समाज में असमानता पैदा की है। शिक्षा किसी की जागीर नहीं है — केवल अवसर चाहिए, जिससे कोई भी व्यक्ति विद्वान बन सकता है।