बिहार विधान सभा चुनाव 2020 में मुंगेर विधानसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी रहे अविनाश कुमार विद्यार्थी उर्फ मुकेश यादव जी, जो पिछले 14 दिनों से बेड रेस्ट में थे, उनको अचानक पेट दर्द बढ़ने पर सदर अस्पताल मुंगेर जाना पड़ा।
जाने के क्रम में मुंगेर 1 नंबर ट्रैफिक के पास तीन चार गाड़ियों में पुलिस दस्ते ने उन्हें रोक लिया और उनपर लॉकडाउन उल्लंघन का आरोप लगाते हुए वहाँ तैनात पुलिसकर्मियों ने आदतन पुलिसिया बदतमीजी की। परिचय देने एवं कारण बताने पर कहा गया कि इतना चालान हमको काटने का टारगेट मिला है और आपको कितनी भी बड़ी इमरजेंसी क्यों न हो चालान तो भरना ही होगा! अविनाश कुमार विद्यार्थी जी ने पूछा कि अगर किसी की तबियत बिगड़ जाए और उसको अस्पताल जाना हो पर जैसा अमूमन बिहार में होता है कि एम्बुलेंस भी न हो तो क्या अपनी गाड़ी होने पर भी वो घर में ही मर जाये?
इसपर कहा गया ज़्यादा तर्क वितर्क मत करो और ₹10000 फाइन भरो! मौजूद पुलिस पदाधिकारी से जब उन्होंने पूछा कि ₹10000 कैसे तो बोले-“ज़्यादा कानून मत समझाओ! जितना कहा गया है, फाइन भरो नही तो अभी गाड़ी और तुमको दोनो को भीतर कर देंगे! सब कानून समझ मे आ जायेगा!
उन्होंने काफी समझाया मगर पुलिस कुछ सुनने को तैयार नही थी! बार बार कह रही थी कि -“हमको अभी अपना टारगेट पूरा करना है! जल्दी ₹10000 फाइन भरो!
जब लगा कि कुछ समझाने से फायदा नही और उनका दर्द भी बढ़ता जा रहा था तो मजबूरन उन्हें “फाइन” के नाम पर RCP वसूली का ₹10000 रुपया उन्होंने दे दिया!
मगर जो चालान उनको दिया गया उसपर कोई रकम अंकित नही थी! पूछने पर कहा गया ऐसा ही दिया जाता है ज्यादा जानना है तो SP या कलेक्टर से पूछो! ₹10000 का भुगतान भर कर अविनाश जी अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर को दिखा दवा ली!
सवाल उठता है कि यह लॉक डाउन किसके हित के लिए है? जनता के हित के लिए या RCP टैक्स वसूली के लिए? क्या इसकी आड़ में पुलिसिया दमन, मनमाना वसूली और जनता के बीच घूसखोर पुलिस के आतंक को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है?
जिस ज़िले में स्वास्थ्य की मूलभूत सुविधाओं का अभाव है वहाँ इलाज के लिए जा रहे लोगों को अमानवीय प्रताड़ना दे कर पैसे ऐठने का टारगेट कौन दे रहा है?
यह पुलिस जनता की सुरक्षा और सुविधा के लिए है या जनता से अवैध वसूली के लिए सरकार द्वारा खड़ी की गई कोई संगठित गैंग है? किस चीज़ का व्यापार चल रहा है जिसका टारगेट पूरा करने को 3-4 गाड़ी पुलिस चौक चौराहे पर ज़रूरतमंदों को परेशान कर लूटने का काम कर रही है?
किस धारा की तहत ₹10000 रुपए का फाइन लिया गया और क्यों पर्ची पर रकम इंगित नही किया गया?
किसके प्रश्रय पर खुल्लमखुल्ला पुलिस के लोग पदाधिकारियों के समक्ष ही पीड़ित जनता से लूटपाट कर रहे हैं?
यह सुशासन है तो कुशासन किसको कहते हैं?
आपके सरकारी अस्पतालों में महामारी का समुचित इलाज नही, वेंटिलेटर है तो टेक्निशियन नही, मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराओ तो वहां लूट पाट सहो, अगर कोई मर जाए तो शमशान में लूट और आप कहें सुशासन! आप कहें तो जंगलराज!
प्रश्न पूछें तो कानून कायदा भीतर कर के समझायेंगे? क्या यही है नीतीश कुमार का न्याय के साथ विकास?
(राष्ट्रीय जनता दल के फेसबुक पेज से)