बिहार में इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुस्लिमों को साधने की भरपूर कोशिश कर रहें हैं, इसके लिए वह लगातार मुस्लिम रहनुमाओं और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों से मुलाक़ात कर रहें हैं।
लेकीन दूसरी तरफ़ वहीं नीतीश कुमार मुस्लिमों से जुड़े तमाम विभागों में नियुक्ति नहीं कर रहें हैं, बिहार में लगभग चार साल से उर्दू अकादमी में सचिव एवं एक साल से मदरसा बोर्ड के चेयरमैन का पद खाली हैं।
इसके साथ साथ उर्दू परामर्शदाता समिति का चेयरमैन, राजकीय उर्दू लाइब्रेरी का चेयरमैन, बिहार अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का पद भी खाली हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, उर्दू अकादमी का अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं उसके बावजूद 4 साल से सचिव का पद खाली हैं. जिसके कारण उर्दू से जुड़े तमाम नीतिगत फ़ैसले नहीं हो पर रहे हैं।
इस मसले को एआईएमआईएम बिहार प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक अख्तरूल ईमान ने विधानसभा में भी उठाया था।
अख्तरुल ईमान का कहना हैं कि, मुस्लिमों से जुड़े तमाम विभागों के पद खाली हैं यहीं नीतीश कुमार की सच्चाई हैं, बीजेपी का खौफ दिखा कर मुख्यमंत्री मुसलमानों का वोट लेना चाहते हैं, 12 हज़ार से ऊपर उर्दू टीईटी शिक्षकों का 8 साल से रिज़ल्ट प्रकाशन नहीं हो रहा हैं, 70 से 80 हज़ार उर्दू शिक्षकों की बहाली नहीं हुई हैं, इसपर नीतीश कुमार खामोश क्यों हैं।
अगर इन सब पर हम सवाल करते हैं तो हमे बी टीम और सी टीम कहा जाता हैं, लेकीन यह सच्चाई हैं कि नीतीश कुमार बिहार में मुसलमानों से सौतेला व्यवहार कर रहें हैं।