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कोरोना आपदा के बीच CAA कानून लागू, पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिम लोगों को दी जाएगी नागरिकता

मौजूदा समय में पूरा देश कोरोना महामारी की कहर से गुज़र रहा है। अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड की भारी कमी है। ऐसे में सरकार को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। मोदी सरकार की काफी बदनामी भी हुई है। ताज़ा सर्वे में ये दावा किया गया है कि कोरोनकाल में मोदी की लोकप्रियता में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है

ऐसे में सरकार ने इन परिस्तिथियों से निपटने का रास्ता ढूंढ निकाला है। कोरोना महामारी के कारण कई महीनों से ठंडे बस्ते में पड़ा CAA कानून को सरकार ने पांच राज्यों में लागू करने का आदेश जारी किया है।

केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये गैर मुस्लिम समुदाय के लोग जी पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के 13 जिलों में रह रहे हैं उनसे भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाएं हैं।

आपको बता दें कि 2019 में पारित हुए संसोधित कानून CAA के नियमों को अभी तैयार नहीं किया गया है। 2019 में पहली बार जब CAA कानून लागू हुआ तो देश के अलग अलग हिस्सों में सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। इन्हीं विरोध प्रदर्शन के चलते दिल्ली में दंगा भी भड़क गया था। इसके बाद CAA कानून को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

नागरिकता संशोधन कानून के मुताबिक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आये उन तमाम गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आगये हों। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अब तक नागरिकता संशोधन कानून के नियमों को तैयार नहीं किया गया है।

ऐसे में कोरोना महामारी के बीच पांच राज्यों के गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों से आवेदन मंगाना कई सवाल खड़े कर रहे हैं। क्या सरकार कोरोना महामारी के अपने नाकामी को छुपाने के लिए इस कानून को लागू करना चाहती है? क्या देश के बहुसंख्यक आबादी को खुश करने के लिए इस तरह के विवादित कानून को आपदा के समय लागू करना चाहती है?

सोशल एक्टिविस्ट वली रहमानी ने ट्वीट कर इसका विरोध किया है और कहा है कि ये गैर संवैधानिक और भेदभाव पैदा करने वाला कानून है। किस बिना पर ये लोग इस कानून को लागू कर रहे हैं जबकि इनके नियमों को अभी तैयार भी नहीं किया गया है।

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